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ब्रज की होली में मुस्लिमों की एंट्री पर विवाद, संतों की मांग के बाद बढ़ी बहस
प्रयागराज महाकुंभ में मुस्लिमों की एंट्री बैन करने के बाद अब ब्रज की होली को लेकर नई बहस छिड़ गई है। मथुरा के संतों ने ब्रज की ऐतिहासिक और पौराणिक होली में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि यह सनातन संस्कृति के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश है और इसे रोकना आवश्यक है।
ब्रज की होली में मुस्लिमों की एंट्री पर संतों की आपत्ति
मथुरा के संतों और कई हिंदू संगठनों का कहना है कि सनातन संस्कृति से जुड़े इस धार्मिक आयोजन में सिर्फ वे ही लोग शामिल हों, जो इसकी परंपरा और मूल्यों का सम्मान करते हों। संतों ने आरोप लगाया कि कुछ कट्टरपंथी मानसिकता के लोग ब्रज की होली में शामिल होकर इसे अपवित्र करने की कोशिश कर सकते हैं।
इस मांग के बाद देश की सियासत भी गरमा गई है। समाजवादी पार्टी (SP) ने इस मुद्दे को बीजेपी और आरएसएस की साजिश करार दिया है। वहीं, बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने साधु-संतों की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि सनातन परंपरा की रक्षा करना जरूरी है।
बिहार में बीजेपी के विधायक हरिभूषण ठाकुर ने इस मामले पर बयान देते हुए कहा कि, "जो लोग अपने मदरसों में यह पढ़ते हैं कि चेहरे पर रंग लगने से अल्लाह दंड देगा, उन्हें रंगों के इस पवित्र त्योहार में नहीं आना चाहिए।"
वहीं, वीएचपी प्रवक्ता विनोद बंसल ने भी संतों की मांग को सही ठहराते हुए कहा कि "देश को जिहादी मानसिकता से बचाने की जरूरत है। ब्रज की होली एक धार्मिक परंपरा है और इसे सनातन परंपरा के तहत ही मनाया जाना चाहिए।"
होली खेलने को लेकर मुस्लिम धर्मगुरु भी बंटे
होली खेलने को लेकर मुस्लिम धर्मगुरु भी एकमत नहीं हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने ब्रज की होली में मुस्लिमों के बैन को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि यह संविधान द्वारा दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।
वहीं, ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन का कहना है कि "इस्लाम में होली मनाना जायज नहीं है। मुसलमानों को इस त्योहार में शामिल होने से बचना चाहिए, क्योंकि शरीयत में रंग खेलने का कोई उल्लेख नहीं है।"
क्या इस्लाम में होली खेलना जायज़ है?
इस्लामिक विद्वानों की राय इस मुद्दे पर अलग-अलग है। कई विद्वान मानते हैं कि मुसलमानों को उन धार्मिक आयोजनों में शामिल नहीं होना चाहिए जो गैर-इस्लामिक धार्मिक मान्यताओं से जुड़े हों। हालांकि, कुछ विद्वानों का कहना है कि अगर होली सिर्फ एक रंगों का खेल होता और उसका कोई धार्मिक महत्व नहीं होता, तो इसे एक सामान्य मनोरंजन के रूप में देखा जा सकता था।
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, शरीयत में किसी भी धार्मिक गतिविधि में शरीक होने की इजाजत तभी होती है जब वह इस्लामिक उसूलों के खिलाफ न हो। ऐसे में होली को एक हिंदू धार्मिक त्योहार मानते हुए कई मुस्लिम धर्मगुरु इसमें भाग लेने से बचने की सलाह देते हैं।
प्रयागराज महाकुंभ में भी मुस्लिमों की एंट्री पर बैन लगा था
इससे पहले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रयागराज महाकुंभ में मुस्लिमों की एंट्री पर प्रतिबंध लगाया था। सीएम योगी ने उस वक्त बयान दिया था कि, "जो भी सनातन संस्कृति का सम्मान करता है और भारतीय मूल्यों में विश्वास रखता है, वह महाकुंभ में आ सकता है।"
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा था कि, "महाकुंभ जाति-पंथ की दीवारें तोड़ता है और यहां हर श्रद्धालु का स्वागत है।"
क्या ब्रज की होली में बैन की मांग पूरी होगी?
ब्रज की होली में मुस्लिमों के प्रवेश को रोकने की मांग अब एक बड़ा मुद्दा बनती जा रही है। साधु-संतों की इस मांग के समर्थन और विरोध में कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। सवाल यह उठता है कि क्या सरकार इस मांग को मानते हुए कोई आधिकारिक फैसला लेगी, या फिर यह मुद्दा सिर्फ बहस तक ही सीमित रहेगा?
इस मामले पर राजनीतिक दलों की अलग-अलग राय और मुस्लिम धर्मगुरुओं की असहमति ने इसे और अधिक जटिल बना दिया है। आने वाले दिनों में इस पर सरकार की प्रतिक्रिया और न्यायिक दृष्टिकोण पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी।
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