भानु सप्तमी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. ऐसा माना जाता है कि भानु सप्तमी की पूर्व संध्या पर सूर्य देवता ने सात घोड़ों के रथ पर अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की. कई अन्य सप्तमी तिथियों में भानु सप्तमी को बहुत शुभ माना जाता है.
भानु सप्तमी की मान्यता
आपको बता दें कि, पश्चिमी भारत और दक्षिणी भारत के क्षेत्रों में भानु सप्तमी व्यापक रूप से मनाया जाता है. भानु सप्तमी के दिन भक्त सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए दित्य हृदय स्तोत्र का जाप करने के साथ-साथ महा-अभिषेक करके भगवान सूर्य की पूजा करते है. भक्त गरीबों को फल, वस्त्र आदि का दान भी करते है. इस सप्तमी को व्यापक रूप से सूर्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है.
भानु सप्तमी का महत्व
भानु सप्तमी उस दिन का प्रतीक माना जाता है जब भगवान सूर्य के आगमन ने सृष्टि को जीवंत कर दिया था. ऐसा माना जाता है कि भगवान सूर्य एक स्वर्ण रथ पर विराजमान है. सात घोड़े उनके रथ को खींचते हैं और ये घोड़े सूर्य की सात किरणों को दर्शाते है. अरुण भगवान सूर्य का सारथी है. जो सूर्य की चिलचिलाती गर्मी से पृथ्वी को बचाने और ढालने के लिए सामने खड़े है. भगवान सूर्य सभी प्राणियों के निर्माता है.
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