देशभर में कोरोना का कहर जारी है. ऐसे में देश में 24 घंटे के अंदर एक लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. इतना ही नहीं ब्लैक अस्थमा, क्रोनिक किडनी डिजीज, सेप्सिस और कैंसर जैसी बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए भी कोरोना घातक होता जा रहा है. वैक्सीन की एक या दोनों डोज लेने के बाद भी इन मरीजों में संक्रमण का खतरा बना रहता है, जिसका खुलासा दिल्ली सरकार की डेथ ऑडिट कमेटी की रिपोर्ट में हुआ है.
मौजूदा रिपोर्ट के मुताबिक 1 जनवरी से 15 जनवरी के बीच दिल्ली में 228 लोगों की मौत कोरोना संक्रमण से हुई. इनमें से जब 143 मौतों का ऑडिट किया गया तो 80 फीसदी से ज्यादा लोग संक्रमित होने से पहले इन बीमारियों से ग्रसित पाए गए. इनमें 0 से 12 और 18 साल से ऊपर के सभी आयु वर्ग शामिल हैं. एक आंकड़ा यह भी है कि 70 फीसदी मौतें ऐसे लोगों की वजह से होती हैं जिन्होंने वैक्सीन की एक भी खुराक नहीं ली. जबकि एक-दो खुराक लेने वालों की भी मौत हो गई, लेकिन उनमें एक से अधिक कॉमरेडिटी देखी गई.
एक से अधिक कोमोरबिटीज भी
ऑडिट से पता चला कि उन्हें कोरोना संक्रमण से पहले सीओपीडी, सीकेडी, सेप्सिस, कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, ब्रेन स्ट्रोक, थैलेसीमिया, एन्सेफलाइटिस, सांस की बीमारी, तपेदिक, यकृत और आंतों के रोग थे. 36 फीसदी मरने वालों में एक से अधिक बीमारियां कोमोरबिटीज हैं. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के वरिष्ठ डॉ. नीरज निश्चल का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर गैर-संचारी रोगों की उपस्थिति अधिक है, लेकिन अगर हम दिल्ली जैसे महानगर की बात करें तो अधिक जनसंख्या इसकी चपेट में है. दिल्ली में हर दूसरे और तीसरे व्यक्ति पर संक्रमण का खतरा है. ऐसे में लोगों को भी जल्द से जल्द कोरोना का टीका लगवाना चाहिए. इसके साथ ही कोरोना के नियमों का भी पालन करना चाहिए.
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