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उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में राज्यसभा चुनावों ने भाजपा को संसद के ऊपरी सदन में मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया है। उत्तर प्रदेश में ग्यारह और उत्तराखंड में एक सीट पर चुनाव हुआ है। बता दें कि सभी 12 प्रत्याशियों को निर्विरोध चुना गया। इसके साथ भाजपा को राज्यसभा में 92 सांसद मिले हैं।
दूसरी ओर, कांग्रेस राज्यसभा में अपनी सबसे कम संख्या पर पहुंच गई है, जिस जगह पर कांग्रेस पिछले कुछ दशकों से जगह बनाई हुई थी। इससे ये साफ़ हो जाता है कि एनडीए की सरकार को ज्यादा परेशानी नहीं होगी।
एनडीए को अभी नहीं मिला बहुमत
एनडीए के पास नौ सांसद हैं जबकि जदयू के पास राज्यसभा की पांच सीटें हैं। अन्य एनडीए घटक - आरपीआई-अठावले, असोम गण परिषद मिजो नेशनल फ्रंट, नेशनल पीपुल्स पार्टी, नागा पीपुल्स फ्रंट, पट्टली मक्की काची और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट। इससे एनडीए के सांसदों की कुल संख्या राज्यसभा में 111 हो जाती है। वर्तमान में, राज्यसभा में 242 सदस्य हैं।
राज्यसभा में आधे तक पहुंचना मुश्किल नहीं होगा क्योंकि एनडीए की बीजद, टीआरएस और वाईएसआरसीपी के साथ अच्छी समझ और साझेदारी है। उनके पास कुल 22 सांसद हैं - बीजद के 9, टीआरएस के सात और वाईएसआरसीपी के छह हैं।
विपक्ष कमजोर पड़ रहा है
एनडीए राज्यसभा में बहुमत के करीब है, और विपक्ष की संख्या कमजोर है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के पास राज्यसभा में अभी कुल 62 सांसद ही हैं। यह इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि पिछले तीन दशकों में कोई भी राजनीतिक गठबंधन राज्यसभा के बहुमत तक नहीं पहुंचा है। 1990 के दशक के पूर्व में कांग्रेस को राज्यसभा में बहुमत प्राप्त हुआ था।
यूपी और उत्तराखंड ने समीकरण में को दिया योगदान
उत्तर प्रदेश द्वारा 31 सांसदों को राज्यसभा भेजा गया। वर्तमान चुनाव में आठ भाजपा उम्मीदवारों की जीत के साथ पार्टी के पास उत्तर प्रदेश से अब 22 सदस्य हो गए हैं।
वहीं समाजवादी पार्टी है जिसने चुनाव में मात्र एक राज्यसभा सीट जीती थी, लेकिन अब उसके पास पांच सांसद हैं। उसी तरह निर्दलीय उम्मीदवार के कागजात खारिज हो गए थे जिसके कारण बसपा ने 1 सीट जीत ली थी उस काऱण से उसके पास राज्यसभा में तीन सांसद हैं।
उसके दूसरी तरफ कांग्रेस की बात करें तो राज्यसभा में कांग्रेस के पास उत्तर प्रदेश से मात्र एक राजयसभा सांसद है। इसमें एक उत्तराखंड से भी है, जहां मौजूदा चुनाव में अकेली सीट भाजपा के पास चली गई थी। उत्तराखंड में अब सत्तारूढ़ भाजपा के पास राज्य की तीन में से दो राज्यसभा सीटें हैं।
राज्यसभा में अब 3 खाली सीटें हैं - जिसमे दो बिहार से हैं और एक कर्नाटक से है। हालांकि कर्नाटक में भाजपा अपनी जीत को लेकर सुनिश्चित हो सकती है, बिहार में चल रहे चुनाव यह तय करेंगे कि जब चुनाव होता है तो दो राज्यसभा सीटें कैसे विभाजित होती हैं?
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