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महाराष्ट्र में हटे सारे कोरोना प्रतिबंध, मास्क की भी जरूरत नही

कोरोना महामारी ने शुरुआती दौर में महाराष्ट्र में आतंक मचाया था. बीमारी थामने का नाम नहीं ले रही थी. लेकिन अब महाराष्ट्र में मास्क पहनने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्युकी राज्‍य में सभी कोविड-19 प्रतिबंध हटाने का फैसला लिया गया है.

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By Pooja Mishra | खबरें - 31 March 2022

कोरोना महामारी ने शुरुआती दौर में महाराष्ट्र में आतंक मचाया था. बीमारी थामने का नाम नहीं ले रही थी. लेकिन अब महाराष्ट्र में मास्क पहनने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्युकी राज्‍य में सभी कोविड-19 प्रतिबंध हटाने का फैसला लिया गया है.



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2 अप्रैल से कोरोना प्रतिबंध हटेगा

आपको बता दें कि, महाराष्‍ट्र में शनिवार यानी दो अप्रैल से मास्‍क पहनना जरूरी नहीं है. कोविड के मामले में आई कमी के मद्देनजर  सभी प्रतिबंध हटाने का फैसला लिया गया है. दो अप्रैल से नवरात्रि और हिंदू नव वर्ष गुड़ी पड़वा प्रारंभ हो रहा है. वहीं राज्‍य सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है की मास्‍क के उपयोग की सलाह दी जाएगी लेकिन यह अब अनिवार्य नहीं होगा. मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे के ऑफिस की ओर से यह ऐलान किया गया है. महाराष्‍ट्र में सभी कोविड प्रतिबंधों को खत्‍म किया जाएगा क्‍योंकि गुड़ी पड़वा प्रारंभ हो रहा है. 

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महाराष्ट्र में कोरोना का आंकड़ा

महाराष्‍ट्र सहित पूरे देश में अब कोरोना के नए मामलों की संख्‍या काफी कम हो गई है. भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 1,225 नए केस सामने आए हैं. इसके एक दिन पहले, कोरोना के कुल 1,233 नए मामले दर्ज किए गए थे.इस समय देश में कोरोना वायरस के कुल 14,307 एक्टिव केस हैं. पिछले 24 घंटे में इस वायरस से 1,594 लोग ठीक हुए हैं. उद्धव ठाकरे ने कोरोनाकाल की मनहूस यादों को पीछे छोड़कर एक नई शुरुआत की है। आपदा प्रबंधन अधिनियम के साथ-साथ संक्रामक रोग निवारण अधिनियम के तहत कोरोना काल के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों को गुड़ी पड़वा 2 अप्रैल से पूरी तरह से हटाया जा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार, इस मौके पर उन्होंने कैबिनेट की ओर से प्रदेशवासियों को गुडीपड़वा की शुभकामनाएं दीं. मुख्यमंत्री ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में राज्य सरकार को अटूट समर्थन देने के लिए पिछले दो वर्षों से राज्य में डॉक्टरों सहित सभी फ्रंटलाइन स्टाफ और सभी नागरिकों को भी धन्यवाद दिया. उन्‍होंने कहा कि इस अवधि के दौरान, राज्य में विभिन्न जातियों, धर्मों और संप्रदायों के नागरिकों ने अपने त्योहारों, समारोहों और समारोहों को सीमित रखा और संयम का पालन किया


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