MP: ससुर ने तलवार से बहू के दोनों हाथ काटे, 9 घंटे में डॉक्टरों ने दोबारा जोड़ा

भोपाल में 6 डॉक्टरों की टीम ने 9 घंटे की सर्जरी के बाद महिला के दोनों हाथों की कटी हुई कलाइयों को जोड़ा. 47 वर्षीय सुनीता चतुर्वेदी उर्फ ​​सीमा के हाथ उसके ससुर ने तलवार से काट दिए.

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भोपाल में 6 डॉक्टरों की टीम ने 9 घंटे की सर्जरी के बाद महिला के दोनों हाथों की कटी हुई कलाइयों को जोड़ा. 47 वर्षीय सुनीता चतुर्वेदी उर्फ ​​सीमा के हाथ उसके ससुर ने तलवार से काट दिए. विदिशा के बालाजी मंदिर क्षेत्र की रहने वाली सीमा के हाथ में रक्त वाहिकाएं कट गईं. हड्डी भी टूट गई। दोनों हाथ कलाई से लटके हुए थे. अस्पताल निदेशक डॉ राजेश शर्मा ने बताया कि महिला को 11 नवंबर को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था. कलाई में रक्त वाहिकाओं को नुकसान हुआ था. ऑपरेशन के बाद महिला की कलाई से लटके हाथ को बचा लिया गया. हम महिला के दोनों हाथ बचाने में सफल रहे.


महिला के ससुर विदिशा के बालाजी मंदिर के पुजारी हैं. 11 नवंबर की सुबह सीमा घर पर अकेली थी. करीब साढ़े सात बजे ससुर कैलाश नारायण चतुर्वेदी आए और बहस करने लगे. काफी देर तक जब वह शांत नहीं हुआ तो सीमा ने उसे थाने में शिकायत करने को कहा. इससे कैलाश ने तलवार उठाई और सीमा पर 5-6 वार किए. परिजन उसे पहले विदिशा के जिला अस्पताल लाए थे, बाद में भोपाल ले आए.

सनकी मूड के ससुर

कैलाश बहुत सनकी है. बहू पर हमला करने के बाद वह मौके पर मौजूद रहा. अजय अपनी पत्नी सुनीता और बेटे संजू के साथ अपनी मौसी के साथ रहता है. हमले की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई. इस दौरान कैलाश बार-बार दोहरा रहा था कि वह पुलिस से नहीं डरता. पुलिस आई तो वह बिना किसी विरोध के पुलिस की गाड़ी में बैठ गया. बताया गया है कि कैलाश और सुनीता के लिए चबूतरा बनाने को लेकर विवाद चल रहा था. इससे पहले भी सुनीता ने पुलिस में इसकी शिकायत की थी.

कलाई की महीन नसों को जोड़ना आसान नहीं था

नर्मदा अस्पताल के ट्रॉमेटोलॉजिस्ट और स्पाइन सर्जन डॉ. राजेश शर्मा ने बताया कि हमले में महिला के हाथ की बारीक नसों को काफी नुकसान पहुंचा था. उन्हें जोड़ना बहुत मुश्किल था. इस वजह से सर्जरी में काफी समय लग गया. ऑपरेशन टीम में क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ. रेणु शर्मा के अलावा प्लास्टिक सर्जन डॉ. विशाल रामपुरी, वैस्कुलर सर्जन, एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट डॉ. प्रशांत यशवंते, फिजिशियन डॉ. गोपाल बटनी और जनरल सर्जन समेत अन्य स्टाफ भी शामिल था. टीम की मेहनत से सुनीता के हाथ बच गए.

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