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14 सितम्बर को हाथरस में हुये अपराध से पूरे देश में अक्रोश व्याप्त है। 19 वर्षीय दलित लडकी के साथ गैंग रेप कर उसको अधमरी हालत में फेक दिया गया। जिसके बाद उसे दिल्ली के हस्पताल में भर्ती किया गया। जहां इलाज के दौरान 2 हफ्ते बाद उसकी मृत्यु हो गयी। जिसके बाद से पूरे देश मे बवाल मच गया है। और पूरा देश न्याय की गुहार लगा रहा है।
लेकिन इस मामले में यू.पी. पुलिस ने जनता को निरास किया है। हालांकि गैंगरेप के चारों अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं दूसरी तरफ यू.पी. पुलिस ने जबरन पीडिता का अंतिम संस्कार करा दिया। अब कई सवाल खडे हो जाते हैं कि आखिर यू.पी. पुलिस ने इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई? पीडिता के माता पिता की सहमति भी नहीं ली गयी। आखिर इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं?
हाथरस में हुआ गैंगरेप और क्रूर हमला हमें दिल्ली में हुए 2012 गैंगरेप और हत्या के मामले और 2019 में हुए हैदराबाद के बडे मामलों की याद दिलाता है। इन सभी दिल दहला देने वाली घटनाओं को देखकर और सुनकर हम सभी के मन में कुछ सवाल उठते हैं। भले ही भारत आज तरक्की की राह पर है। माहिलाओं को आज समान अधिकार दिया जा रहा है। जहां माहिलाओं को देवी का दर्जा दिया गया है। ऐसी संस्कृति वाले देश में आज ऐसे अपराध क्यों बढ़ते जा रहे है क्यो महिलायें यहां सुरक्षित नहीं और बीते कुछ सालों में अपराध का स्तर बढ़ता जा रहा है और कितना बढ़ गया है। क्यों माहिलाओं की तरक्की के साथ माहिलाओं के साथ होने वाले अपराधो में भी वृद्धी हुई है।
पिछले कुछ सालों में हो रहे अपराध में वृद्धी हुई हैं। एन.सी.आर.बी 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में लड़कियों या औरतों के विरुद्ध अपराध में 7.03 प्रतिशत वृद्धी देखी गयी। एन.सी.आर.बी.ने मंगलवार को अंकडो की एक सूची जारी की जिससे पता चलता है। कि ज्यादातर मामले दलितों के खिलाफ थे। एन.सी.आर.बी के आंकडों से यह भी पता चलता है कि उ.प्र. में दलितों के खिलाफ सबसे ज्यादा मामले दर्ज किये जाते है। वहीं दलित महिलाओं के साथ बलात्कार के मामलो की बात की जाये। तो उ.प्र. राजस्थान के बाद दूसरे स्थान पर आता है।
वहीं पिछले एक वर्ष में महिलाओं के विरुद्ध अपराध में 3.05 प्रतिशत की वृद्धी हुई। रिपोर्ट्स में देखा गया कि जहां 2018 में 58.08 प्रतिशत मामले थे वो 2019 में बढ़कर 62.04 प्रतिशत हो गये।
भारत में बलात्कार के मामले बहुत आम हो चुके है। 2019 में ओसतन हर दिन लगभग 88 केस दर्ज हुये। हालांकि उ.प्र. मे महिलाओं और दलितों के विरुद्ध सबसे ज्यादा मामलें सामने आते है। ऐसा हमारा नहीं एन.सी.आर.बी के आंकडों का कहना हैं। आंकडों के मुताबिक कुल 59853 मामलों में 14.07 प्रतिशत का योगदान सिर्फ उ0प्र0 का है। उ0प्र0 के बाद राजस्थान का नम्बर आता है क्योकि वहां हुये अपराधिक मामले कुल मामलों का 10.02 प्रतिशत हैं। जो कि 2019 में और ज्यादा बढ़ गया है।
राजस्थान में सबसे अधिक बलात्कार के मामले दर्ज हुए - 5,997 - इसके बाद उत्तर प्रदेश - 3,065 - और मध्य प्रदेश - 2,485 हैं। राजस्थान में भी बलात्कार के मामलों की सबसे ज्यादा = दर - 15.9 प्रति लाख जनसंख्या दर्ज की गई।
कुल मिलाकर, भारत में 2018 में 3,78,236 मामलों की तुलना में 2019 में महिलाओं के विरुद्ध कुल 4,05,861 अपराध के मामले दर्ज किए गए।
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