टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन जेआरडी टाटा (JRD Tata) हमेशा हर किसी की सहायता करने के लिए जाने जाते थे. लोगों की मदद करना उन्हें काफी अच्छा लगता था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जेआरडी ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन ने उनके सपनों को पूरा करने में उनकी मदद की थी. 1992 में केआर नारायणन भारत के वाईस प्रेजिडेंट बने और 1997 में उन्हें भारत का प्रेजिडेंट बनाया गया.
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केआर नारायणन बेहद गरीब परिवार से थे
केआर नारायणन एक बेहद गरीब परिवार से थे, लेकिन वे शुरू से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. इसके बाद जेआरडी ने उनकी आर्थिक मदद की. 1949 में केआर नारायणन ने लंदन के अर्थशास्त्र स्कूल में एडमिशन लिया और बाद में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हो गए. जब जेआरडी टाटा को एक युवक को स्कॉलरशिप के लिए सिफारिश करने वाला पत्र मिला, तो किसी को नहीं पता था कि वही आदमी बाद में भारत का राष्ट्रपति बनेगा.
इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ 81 साल पुराना पत्र
एक लिंक्डइन पोस्ट में, टाटा संस के ब्रांड कस्टोडियन हरीश भट ने जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा की दिल को छू लेने वाली कहानी पोस्ट की है, जिन्होंने भारत के पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायण को अपना सपना हासिल करने में मदद की थी. वहीं अब 81 साल पुराना पत्र अब इंटरनेट मीडिया में वायरल हो रहा है, जिसमें जेआरडी टाटा को 1940 में एक युवक से स्कॉलरशिप के लिए अनुरोध पत्र मिला था.
नारायणन ने त्रावणकोर विश्वविद्यालय से किया एमए
इस युवक ने त्रावणकोर विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की. उन्होंने कई बाधाओं को पार किया जिनका उनके समुदाय के लोगों ने हमेशा सामना किया. वह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड जाना चाहते थे.
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जेआरडी ने दी 16 हजार रुपये की स्कॉलरशिप
जेआरडी टाटा युवा केआर नारायणन की मदद करने के लिए तैयार हो गए. उन्होंने मदद करने के लिए जेएन टाटा एंडोमेंट की सिफारिश की. जेएन टाटा एंडोमेंट की स्थापना 1892 में जमशेदजी नुसरवान जी टाटा ने की थी. जेएन टाटा एंडोमेंट ने उन प्रतिभाशाली युवाओं को स्कॉलरशिप प्रदान की जो विदेश में अध्ययन करने गए थे. केआर नारायणन का जल्द ही इंटरव्यू लिया गया. वह इंटरव्यू बोर्ड को प्रभावित करने में कामयाब रहे.
केआर नारायणन की प्रतिभा और आर्थिक तंगी को देखते हुए टाटा स्कॉलरशिप ने उन्हें 16,000 रुपये की स्कॉलरशिप और एक हजार रुपये का लोन दिया. वित्तीय सहायता प्राप्त करने के बाद, नारायणन ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में दाखिला लिया. वह 1949 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए. 1992 में केआर नारायणन भारत के वाईस प्रेजिडेंट बने और 1997 में उन्हें भारत का प्रेजिडेंट बनाया गया.
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