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कोरोना का क़हर बढ़ता जा रहा है और कई दुनिया भर में क़हर भी बढ़ रहा है। उसी के चलते गुरुवार शाम को 435 मील लगभग 700 किलोमीटर का लम्बा जाम लग गया। फ्रांस में आँकड़ो की बढ़ोत्तरी हो रही थी तो वहां के लोगों की चिंता भी बढ़ रही थीं कि संक्रमण देश की स्को प्रभावित करेंगे, इस बात का ध्यान रखते हुए देश के अधिकारियों ने चार सप्ताह तक लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया जिसे शुक्रवार से शुरू किया गया था। जिसके कारण से सभी किराना स्टोर और बाजार भरे हुए थे क्योंकि लोगों को खाने पीने के सामान को स्टॉक करना शुरू कर दिया था।
फ्रांस में रहने वाले क़रीब 67 मिलियन लोगों को घर पर रहने की सलाह दी गयी है। इसमें बस इतनी छूट दी गयी कि कोई भो व्यक्ति अपने घर से क़रीब 1 किलोमीटर तक जा सकता है, डॉक्टर को दिखाने, ऑफ़िस या आवश्यक सामानों की खरीदारी के लिए भी जा सकता है। इसके अलावा रेस्तरां और कैफ़े बंद रखने के आदेश हैं। प्रधानमंत्री जीन कास्टेक्स ने गुरुवार को इस बात की जानकारी लोगों को दी।
बता दें कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने लॉकडाउन का फ़ैसला देश में बढ़ते कोरोना को देखते हुए लिया। जहां हर लगभग 50,000 मामले आ रहे हैं। जिस कारण से ख़तरा ज़्यादा बढ़ गया है। लेकिन ऐसी स्थिति सिर्फ़ फ़्रांस में ही नहीं है। कई यूरोपीय देश में ऐसा ही हाल है। जिसके चलते ये बड़ा फ़ैसला लिया गया है।
बेल्जियम में सरकार द्वारा शुक्रवार को बैठक की जा रही है। जिससे इस स्थिति पर और ज़्यादा कंट्रोल करने के लिए कड़े नियम बनाए गये हैं। जर्मनी में भी मामलों को देखते हुए इस सप्ताह बार, रेस्तरां, थिएटर आदि सुविधाओं को बंद करने का निर्णय लिया गया है। लेकिन इस तरह के फ़ैसलों ने देश की आर्थिक व्यवस्था पर काफ़ी ज़्यादा प्रभाव डाला है। देश आर्थिक मंदी की तरफ़ बाढ़ रहा है।
राजधानी के आसपास के सभी हाईवे पर रात के समय में ट्रैफिक बढ़ गया क्योंकि ज़्यादातर लोगों ने राजधानी को छोड़ने का फ़ैसला ले लिया। मीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक़ लॉगजम्स पेरिस के आसपास के इलाक़े में काफ़ी ज़्यादा लोग थे। ट्रैफ़िक इसलिए भी बढ़ गया क्योंकि बहुत से लोग 1 नवंबर के दिन छुट्टी पर भी जा रहे थे।
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