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प्रेमानंद जी महाराज एक महान संत और विचारक हैं, जो जीवन के सच्चे अर्थ को समझाते और हमें मार्गदर्शन देते हैं। उनके विचार जीवन में संतुलन बनाए रखने और उसे सुधारने में मदद करते हैं।
प्रेमानंद जी का मानना है कि यदि हम भगवान से जुड़ जाते हैं, तो हमारी सारी समस्याएं अपने आप समाप्त हो जाती हैं। जब मन भगवान के साथ जुड़ा होता है, तो दुख भी एक अच्छा अनुभव बन जाता है, क्योंकि हम प्रभु से जुड़े होते हैं। भगवान से जुड़ने पर दिनचर्या सही ढंग से चलने लगती है और कष्ट के दिनों में भी आराम महसूस होता है। भगवान की शरण में होने से न तो मौत का डर रहता है और न ही शरीर के प्रति चिंता होती है।
प्रेमानंद जी कहते हैं कि भगवान ने हमारे हर काम और भविष्य की योजना पहले ही तैयार कर रखी है। भगवान की शरण में रहने वाला व्यक्ति हमेशा आनंदित रहता है, और मृत्यु के बाद वह सीधे भगवान के पास जाता है। बड़े से बड़े दुख को भी हम भगवान के स्मरण से पार कर सकते हैं। भगवान का साथ और उनके नाम का जाप हमें दुख से बचाता है। अगर हम भगवान से दूर रहेंगे, तो कोई भी सुख हमें असल सुख नहीं दे सकता, वह केवल सुख की छाया होगा। असली सुख केवल भगवान की शरण में जाने से मिलता है।
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, भगवान के जैसा कोई आनंद देने वाला नहीं है। दुख के समय हमें भगवान के साथ का अनुभव करना चाहिए, उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। यह तभी संभव है जब हम भगवान का नाम जपें, सत्संग में भाग लें और कीर्तन करें। पवित्र बुद्धि भगवान से जुड़ी रहती है, जबकि संसारिक बुद्धि लोगों से मदद मांगती है, जो अंत में दुख ही लाती है। भगवान का साथ ही सुख देने वाला है।
प्रेमानंद जी का कहना है कि केवल भगवान के आश्रय से ही हम दुख के समय भी सुखपूर्वक जीवन जी सकते हैं। भगवान के सानिध्य में रहते हुए हम बड़े से बड़े दुख को भी पार कर सकते हैं। अगर भगवान का साथ नहीं होता, तो जीवन की स्थिति बहुत ही कठिन हो जाती। यह सब कुछ भगवान का ही आशीर्वाद है।
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