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तुषार कपूर और श्रेयस तलपड़े फिर साथ नजर आएंगे, कपकपी से हालत होगी खराब

श्रेयस तलपड़े और तुषार कपूर स्टारर आगामी हॉरर-कॉमेडी फिल्म कपकपी अब 23 मई को सिनेमाघरों में दस्तक देने के लिए तैयार है। फिल्म का निर्देशन किया है दिवंगत फिल्मकार संगीथ सिवन ने किया है।

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By Taniya Singh | Delhi, Delhi | मनोरंजन - 07 April 2025

श्रेयस तलपड़े और तुषार कपूर स्टारर आगामी हॉरर-कॉमेडी फिल्म कपकपी अब 23 मई को सिनेमाघरों में दस्तक देने के लिए तैयार है। फिल्म का निर्देशन किया है दिवंगत फिल्मकार संगीथ सिवन ने, जिन्हें क्या कूल हैं हम और अपना सपना मनी मनी जैसी कल्ट कॉमेडी फिल्मों के लिए जाना जाता है। कपकपी वादा करती है डर और हंसी का अनोखा मेल — जहां एक तरफ दिल दहलेगा, तो दूसरी ओर पेट भी पकड़ कर हँसेंगे।

फिल्म में सोनिया राठी, सिद्धि इडनानी, जय ठक्कर, वरुण पांडे, धरेन्द्र तिवारी, दिनकर शर्मा और अभिषेक कुमार भी नजर आएंगे। इसका निर्माण जयेश पटेल और उमेश कुमार बंसल ने ब्रावो एंटरटेनमेंट के बैनर तले किया है, और इसे ज़ी स्टूडियोज प्रस्तुत कर रहा है। फिल्म की पटकथा सौरभ आनंद और कुमार प्रियदर्शी ने लिखी है।

प्रोड्यूसर जयेश पटेल ने कहा, “संगीथ जी हमें फिल्म की फर्स्ट कट पूरी करके दे चुके थे, इसलिए जो आप स्क्रीन पर देखेंगे — वो पूरी तरह से उन्हीं की विज़न है। उनके असमय निधन के बाद, ये सिर्फ एक फिल्म नहीं रही, ये उनका सपना पूरा करने का हमारा सामूहिक वादा बन गई। कपकपी कोई आम हॉरर-कॉमेडी नहीं है — ये जंगली है, अनफिल्टर्ड है, और इसमें ऐसे किरदार हैं जो बेहद अपने जैसे लगते हैं। यह डर से उसी तरह खेलती है जैसे कोई शरारती बच्चा अंधेरे में टॉर्च से खेलता है — कभी अनुमान के मुताबिक नहीं, हमेशा थोड़ा शैतान।”

फिल्म के बारे में बात करते हुए अभिनेता श्रेयस तलपड़े ने कहा, “जैसा कि नाम से जाहिर है, कपकपी डर से पहले जो रोंगटे खड़े हो जाते हैं — उसी अहसास की कहानी है। ये संगीथ सिवन सर की सबसे बेहतरीन हॉरर-कॉमेडी फिल्मों में से एक है। मुझे उनकी बहुत याद आती है। काश वो आज हमारे साथ होते, अपनी इस पसंदीदा फिल्म को रिलीज़ होते देखते। वो मेरे लिए पिता जैसे थे, और उनका निर्देशन कमाल का था।”

वहीं तुषार कपूर ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “कपकपी का सेटअप बहुत ही यथार्थवादी है, और किरदार भी बहुत रिलेटेबल हैं। फिल्म की हॉरर थीम एक ऊइजा बोर्ड के इर्द-गिर्द घूमती है — जो हिंदी सिनेमा में बहुत कम देखा गया है। संगीथ जी ने हमें स्क्रिप्ट के भीतर रहकर इम्प्रोवाइज़ करने की पूरी आज़ादी दी थी, जिससे हमारी परफॉर्मेंस में गहराई और सच्चाई आई। ये मेरे लिए लगभग 20 साल बाद क्या कूल हैं हम जैसी फिल्मों के बाद एक नॉस्टैल्जिक रीयूनियन था — जैसे मैं फिर से घर लौट आया हूं।”

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