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भारतीय रुपया आज डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। पहली बार रुपया 87 के पार चला गया, जिससे देश की अर्थव्यवस्था और आम जनता पर बड़ा असर पड़ने की आशंका है। करेंसी बाजार खुलते ही रुपया 42 पैसे की गिरावट के साथ 87.06 के स्तर पर पहुंच गया, और शुरुआती 10 मिनट के भीतर ही यह 87.12 प्रति डॉलर तक गिर गया। अब सवाल यह उठता है कि रुपये की इस गिरावट का आम जनता पर क्या असर पड़ेगा? कौन-कौन सी चीजें महंगी होंगी? आइए विस्तार से जानते हैं।
आम जनता पर असर
रुपये की कमजोरी का सीधा असर आम उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा। विशेष रूप से वे वस्तुएं जो विदेशों से आयात की जाती हैं, उनकी कीमतें बढ़ेंगी। खाद्य तेल, दालें और अन्य आवश्यक वस्तुएं महंगी हो सकती हैं। इससे महंगाई दर पर भी असर पड़ेगा, जिससे आम लोगों को अधिक खर्च करना पड़ेगा।
महंगा होगा पेट्रोल-डीजल और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान
भारत कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक है, और रुपये की गिरावट से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ेंगी। इससे पेट्रोल और डीजल महंगा होगा, जिसका असर परिवहन लागत पर भी पड़ेगा। जब परिवहन महंगा होगा, तो रोजमर्रा की जरूरत की चीजें भी महंगी हो जाएंगी।
इसी तरह, इलेक्ट्रॉनिक सामान और मशीनरी का अधिकतर हिस्सा विदेश से आयात किया जाता है। रुपये की कमजोरी के चलते इनकी कीमतें भी बढ़ेंगी, जिससे स्मार्टफोन, लैपटॉप, टीवी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स महंगे हो सकते हैं।
विदेश में पढ़ाई और यात्रा होगी महंगी
डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी का असर उन छात्रों पर भी पड़ेगा, जो विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं। उनकी ट्यूशन फीस और रहने-खाने का खर्च बढ़ जाएगा। इसी तरह, जो लोग विदेश यात्रा की योजना बना रहे हैं, उन्हें अब पहले से ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
दवाइयां भी होंगी महंगी
भारत में कई दवाइयों के कच्चे माल का आयात किया जाता है। रुपये की गिरावट से इन दवाइयों की कीमतों में भी इजाफा हो सकता है, जिससे इलाज कराना महंगा पड़ेगा।
रुपया क्यों गिरा?
रुपये की इस ऐतिहासिक गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
- अमेरिकी टैरिफ नीतियां: अमेरिका की सख्त आर्थिक नीतियों के कारण डॉलर की मांग बढ़ी है, जिससे अन्य मुद्राओं पर दबाव पड़ा है।
- रोजगार वृद्धि: अमेरिका में रोजगार के अवसर बढ़ने से डॉलर मजबूत हुआ है, जिससे रुपये में गिरावट आई है।
- कच्चे तेल की कीमतों में उछाल: अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण भारत का आयात बिल बढ़ा है, जिससे रुपये पर दबाव पड़ा।
- विदेशी निवेशकों की निकासी: विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालने से भी रुपये की कीमत गिरी है।
अब आगे क्या?
अगर रुपये की गिरावट इसी तरह जारी रहती है, तो महंगाई और बढ़ सकती है। सरकार और रिजर्व बैंक रुपये को संभालने के लिए कुछ अहम फैसले ले सकते हैं। ऐसे में आगे क्या होगा, यह देखना दिलचस्प रहेगा।
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