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नए इनकम टैक्स बिल 2026 पर बढ़ा विवाद, टैक्स जांच में सोशल मीडिया और डिजिटल एसेट्स की होगी पड़ताल!
हाल ही में सरकार द्वारा पेश किया गया नया इनकम टैक्स बिल 2026 जबरदस्त चर्चा में है। सरकार का दावा है कि नए नियम टैक्स प्रक्रिया को और सरल और पारदर्शी बनाएंगे, लेकिन इसमें कुछ ऐसे प्रावधान जोड़े गए हैं, जिनपर लोगों की नाराजगी भी देखने को मिल रही है।
क्यों नाराज हैं लोग?
दरअसल, नए बिल में इनकम टैक्स अधिकारियों को यह अधिकार दिया गया है कि वे जांच के दौरान किसी भी टैक्सपेयर्स के सोशल मीडिया अकाउंट्स, ई-मेल और अन्य डिजिटल एसेट्स की जांच कर सकते हैं। यह बदलाव कई लोगों को अत्यधिक दखलअंदाजी वाला लग रहा है, क्योंकि इससे निजता के उल्लंघन का खतरा बढ़ सकता है।
पहले और अब में क्या बदला?
- पुराने टैक्स कानून (1961) के तहत इनकम टैक्स अधिकारी जांच के दौरान सिर्फ बैंक अकाउंट और संपत्तियों की जांच कर सकते थे।
- नए इनकम टैक्स बिल 2026 में अधिकारियों को टैक्सपेयर्स के डिजिटल डिवाइसेस (लैपटॉप, मोबाइल), सोशल मीडिया अकाउंट्स, ई-मेल और क्लाउड स्टोरेज तक एक्सेस की अनुमति मिल सकती है।
- अगर कोई व्यक्ति जांच में सहयोग नहीं करता है, तो अधिकारी पासवर्ड बायपास कर सकते हैं, सुरक्षा सेटिंग्स को ओवरराइड कर सकते हैं और जरूरी फाइलों को अनलॉक कर सकते हैं।
किन मामलों में जांच होगी?
हालांकि, यह नियम हर टैक्सपेयर्स पर लागू नहीं होगा।
- नए इनकम टैक्स एक्ट (धारा 247) के तहत, सिर्फ उन लोगों की डिजिटल जांच की जा सकती है जिनपर टैक्स चोरी, अघोषित संपत्ति छिपाने या वित्तीय गड़बड़ी का संदेह होगा।
- इन मामलों में सोशल मीडिया पोस्ट, डिजिटल लेनदेन, ऑनलाइन निवेश और बैंकिंग गतिविधियों की जांच की जा सकती है।
क्या हो सकते हैं इस कानून के प्रभाव?
- पॉजिटिव: टैक्स चोरी को रोकने में मदद मिलेगी और सरकारी राजस्व बढ़ेगा।
- नेगेटिव: डिजिटल निजता का उल्लंघन हो सकता है और निर्दोष लोगों को भी अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
विपक्ष और जनता की प्रतिक्रिया
इस नए बिल को लेकर विपक्षी दलों और डिजिटल प्राइवेसी एक्टिविस्ट्स ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह निजता पर हमला है और लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर असर डाल सकता है। कई सोशल मीडिया यूजर्स भी इस फैसले का विरोध कर रहे हैं और इसे 'डिजिटल निगरानी कानून' बता रहे हैं।
सरकार ने अभी तक इस पर आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया है, लेकिन उम्मीद है कि आम जनता और विशेषज्ञों की राय को ध्यान में रखकर कुछ बदलाव किए जा सकते हैं।
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