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कोरोनावायरस ने लोगों की नाक में दम कर दिया है जहां एक तरफ इस महामारी के कारण पूरी दुनिया परेशान है, वहीं दूसरी तरफ इसके अच्छे प्रभाव पड़े हैं खासतौर पर प्रदूषण में खासा कमी देखी गई है। कोरोनावायरस के कारण देश के हर वर्ग हर क्षेत्र पर प्रभाव पड़ रहा है। लॉकडाउन के बाद से दुनिया भर में खासकर भारत में यात्रा में काफी कमी देखी गई है जिसने देश की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर डाला है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, यात्रा में कमी आने के बाद से कम वाहनों के साथ-साथ कम भीड़भाड़ वाली सड़कों और प्रदूषण में भी कमी आ गई है। मनोरंजन, शिक्षा, कार्यालय से संबंधित यात्रा में बड़े पैमाने पर लगभग 69% गिरावट देखी गई, जो कि अर्थव्यवस्थाओं में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है,
EY द्वारा एक मोबिलिटी उपभोक्ता सूचकांक सर्वेक्षण के अनुसार नौ देशों में करीब 3,300 उत्तरदाताओं के साथ उपभोक्ता रवैये और व्यवहार पर कोरोना के प्रभाव का पता लगाने के लिए शोध किया गया। सर्वेक्षण में सामने आया कि कार्य यात्रा में 59% की गिरावट और घरेलू यात्रा में 58% की गिरावट आई है।
सर्वेक्षण के अनुसार, औसत साप्ताहिक यात्रा का समय 40% घटकर 6 घंटे से 3.7 घंटे प्रति व्यक्ति हो गया है। सर्वेक्षण में शामिल किए गए भारत और सिंगापुर में काफी गिरावट देखी गई है। EY ने कहा कि आने वाले समय में लंबे समय तक गिरावट होने का मतलब सार्वजनिक परिवहन प्रणाली और सड़क नेटवर्क पर कम मांग और कम दबाव हो सकता है। सर्वेक्षण ने लॉकडाउन के कारण बड़े शहरों में वायु प्रदूषण में अचानक गिरावट को दर्शाया।
ईवाई विश्लेषण ने संकेत दिया कि कार्बन डाइऑक्साइड का मासिक प्रति व्यक्ति उत्सर्जन सभी तीन यात्रा खंडों में विश्व स्तर पर गिर गया, मोटे तौर पर नोट किए गए यात्रा संख्या में गिरावट को ट्रैक कर रहा है। ईवाई इंडिया में ऑटोमोटिव क्षेत्र के नेता विनय रघुनाथ ने कहा कि गतिशीलता गतिशीलता और उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव से हितधारकों को नए ऑपरेटिंग मॉडल के माध्यम से सोचने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
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