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गुरुवार को सरकार ने औद्योगिक कार्यकर्ता के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के लिए आधार वर्ष में संसोधन किया, जिसका उपयोग सरकारी कर्मचारियों और औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिकों के महंगाई भत्ते को मैनेज करने के लिए किया जाता है।
केंद्रीय श्रम मंत्री ने कहा कि सीपीआई-आईडब्ल्यू की गणना के लिए 2001 से 2016 तक संसोधन किया गया है ताकि मजदूर वर्ग के नए उपभोग पैटर्न का नेतृत्व किया जा सके। मंत्रालय के अनुसार, समय के साथ-साथ श्रमिक वर्ग के बजट पर भोजन और पीने के पदार्थों के खर्च में गिरावट आई है, जबकि स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन, परिवहन, संचार आदि जैसी विविध वस्तुओं का वजन काफी बढ़ गया है।
केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था के व्यापक आर्थिक संकेतकों के मापन में मदद करेगा। उन्होंने इसमें किए गए सुधारों के बारे बताया, अंतर्राष्ट्रीय मानकों और प्रथाओं को शामिल करते हुए, इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिक तुलनीय बनाया जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, इंडेक्स रिव्यू कमेटी और नेशनल स्टैटिस्टिकल कमिशन की सिफारिशों के अनुसार, मूल्य सूचकांक संख्याओं के आधार वर्ष को हर कुछ समय पर संशोधित किया जाना चाहिए ताकि कोई भी बदलाव होने में10 साल से ज्यादा समय न हो। इस संशोधन से पहले, श्रृंखला को वर्ष 1944 से 1949; 1949 से 1960 1960 से 1982 और 1982 से 2001 तक संशोधित किया गया था।
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