रेलवे पर अपने खर्चे कम करने का काफी दबाव है. इसके लिए रेलवे कई तरह के उपाय कर रहा है. यात्री आरक्षण व्यवस्था में बदलाव की तैयारी की जा रही है.
रेलवे पर अपने खर्चे कम करने का काफी दबाव है. इसके लिए रेलवे कई तरह के उपाय कर रहा है. यात्री आरक्षण व्यवस्था में बदलाव की तैयारी की जा रही है. माना जा रहा है कि टिकट काउंटर बंद करने के बाद इसे निजी हाथों में दिया जा सकता है.
भले ही सरकार रेलवे के निजीकरण से इनकार कर रही हो, लेकिन धीरे-धीरे कई व्यवस्थाएं निजी हाथों में दी जा रही है. इसी कड़ी में यात्री आरक्षण व्यवस्था में बदलाव की तैयारी की जा रही है. माना जा रहा है कि टिकट काउंटर को बंद कर निजी हाथों में दिया जा सकता है. इस बारे में सुझाव देने के लिए एक फर्म को नियुक्त किया गया है. यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की कोशिश की जा रही है.
इससे पहले भी रेलवे ने आरक्षण केंद्र को बंद करने का फैसला किया था लेकिन विरोध के चलते इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका. माना जा रहा है कि देर-सबेर सरकार आरक्षण काउंटर को निजी हाथों में सौंप सकती है. इसका कारण यह है कि रेलवे का खर्च बहुत अधिक है और आय उसके अनुसार नहीं है. इसमें वे कर्मचारी आते है, जिनकी सैलरी करीब 1.5 लाख रुपए प्रति माह है.