नेपाल ने दुनियाभर में एक नई को मिसाल कायम करने का फैसला लिया है जिसके तहत माउंट एवरेस्ट को साफ-सुथरा रखने और गंदगी से बचाने के लिए नेपाल में एक महीने के लिए सफाई अभियान चलाया गया है जिसके तहत पर्वतीय इलाके से अभीतक 10,000 किलोग्राम से अधिक कचरा इकट्ठा किया जा चुका है। वही माउंट एवरेस्ट से जमा किए गए कचरे को कला में तब्दील करके पूरी दुनिया के सामने एक आर्ट गैलरी के जरिए दर्शाया किया जाएगा ताकि दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत को डंपिंग साइट बनने से रोकने के लिए लोगों का ध्यान आकर्षित किया जा सकें। आपको बता दें कि पर्वत पर चढ़ाई करने वाले लोग जब इस जगह को छोड़कर जाते है तो वह उसी जगह पर इस्तेमाल किए हुए सभी सामानों को वहां पर ही फेंक के चले जाते है जिसके कारण 8,848.86 मीटर ऊंची चोटी और आसपास की जगह पर इस तरह का कचरा फैला रहता है।
कचरे को किया जाएगा कला में तब्दील
सागरमाथा नेक्स्ट सेंटर के सह-फाउंडर और कला परियोजना के निदेशक टॉमी गुस्ताफ़सन ने कहा विदेशी और स्थानीय कलाकारों को कचरे को कला में तब्दील करना सिखाया जाएगा। टॉमी गुस्टाफसन के मुताबिक कहा गया कि "हम दिखाना चाहते हैं कि आप कैसे ठोस कचरे को कला में बदल सकते हैं और रोजगार करके भारी मात्रा में धन राशि जुटा सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि "इसके जरिए हम कचरे के बारे में लोगों की सोच को बदलने और इसे मैनेज करने की उम्मीद करते हैं।
पर्यावरण की जागरुकता को मिलेगा बढ़ावा
यह सैंटर स्यांगबोचे में 3,780 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जो कि एवरेस्ट बेस कैंप के मैन रास्ते पर पड़ता है। जहां पहुंचने में लुक्ला से दो दिन पैदल सफर तय करना पड़ता है। वही इस साल यह आर्ट सैंटर वसंत ऋतु में वहां रहने वाले लोकल दर्शकों के लिए खोला जाएगा लेकिन कोविड-19 के कारण लगी पाबंदियों की वजह से यहां आने वालों की संख्या सीमित होगी जिसमें पर्यावरण के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रोटक्टस और कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा और स्मृति चिह्न की सेलिंग से होने वाली धन राशि का इस्तेमाल इस जगह को ओर बेहतर बनाया जाएगा। वही पहाड़ों पर चढ़ाई वाले रास्तों, घरों और चाय की दुकानों से कचरे को इकट्ठा करने का कार्य लोकल पर्यावरण ग्रुप सगरमाथा पोल्लुशन कंट्रोल कमेटी द्वारा किया जाता जाता है लेकिन इस तरह के क्षेत्र में काम करना अपने आप में ही एक बड़ी चुनौती है जहां पर कोई भी सड़क नहीं है लेकिन आमतौर पर कचरे को खुले गड्ढों में डाल दिया या फिर जलाया जाता है जिससे वायु, जल प्रदूषण के साथ-साथ मिट्टी प्रदूषण भी होता है।
टूरिस्टों की ली जाएगी मदद
योजना में शामिल इको हिमल ग्रुप के पिंजो शेरपा का कहना है कि "कैरी मी बैक" पहल के तहत टूरिस्ट् और गाइड को एक किलो कचरा लुक्ला एयरपोर्ट से काठमांडू तक ले जाया जाएगा। वही साल 2019 में 60 हजार से अधिक ट्रेकर्स और गाइडों ने इस क्षेत्र का दौरा किया था। इसके साथ-साथ पिंजो शेरपा ने बताया कि अगर हम टूरिस्टों को इसमें शामिल करते है तो भारी मात्रा में कचरे को कम और मैनेज कर सकते हैं।
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