किसी शायर ने सही लिखा है, कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत उछालो यारों. हौसला और हिम्मत ही आप विजेता बनाती है. आज हम आपको एक ऐसे ही शख़्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी कहानी जानने के बाद आपके अंदर भी जोश आ जाएगा.
युवा का नाम पिंटू सिंह गहलोत है, दोनों हाथ खो चुके हैं, मगर हिम्मत नहीं हारी है. तैराकी में इनके पास करीब 100 से ज़्यादा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मेडल है. दो अलग-अलग दुर्घटनाओं में अपने दोनों हाथ खोने के बावजूद इन्होंने हिम्मत नहीं हारी. विपरित परिस्थितियों में हौसला खोने के बजाय उसने राष्ट्रीय स्तर पर तैराकी में नाम कमाया है. कड़ी मेहनत जारी रखी और तैराकी में कई बार विजेता बने.
एशियाई चैम्पियनशिप पर नज़र है
अब उसकी नजर 2022 में हांग्जो में आयोजित होने वाली एशियाई चैम्पियनशिप पर बनी हुई है. किसी भी कीमत पर अपना ये सपना पूरा करना चाहते हैं. इसके लिए वो लगातार मेहनत कर रहे हैं. 2022 में हांग्जो में आयोजित होने वाली एशियाई चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने का लक्ष्य लेकर चल रहा है.
राजस्थान में जोधपुर के चोखा गांव के निवासी पिंटू गहलोत 1998 में एक दुर्घटना के दौरान एक हाथ खो बैठा थे, जब वह कक्षा सातवीं के छात्र थे. उन्होंने एक बस दुर्घटना में अपना दायां हाथ गंवा दिया. हालांकि इसके बाद उन्होंने अपने बाएं हाथ के साथ अपनी सफलता की कहानी लिखने की कोशिश की. 2019 में एक स्विमिंग पूल की सफाई के दौरान अपना दूसरा हाथ खो दिया. दरअसल, स्विमिंग पूल में एक लोहे का पाइप था, जहां पिंटू सफाई कर रहे थे. उस लोहे के पाइप में विद्युत प्रवाह (करंट) था, जिसकी चपेट में पिंटू आ गए. इस दौरान पिंटू का हाथ इतनी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया और उसे काटना पड़ा.
पिंटू गहलोत जैसे युवा ही इस देश की पहचान हैं. अपनी मेहनत और हिम्मत से उन्होंने साबित कर दिया कि अगर इंसान कुछ ठान ले तो वो आसानी से पूरा कर सकता है.
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