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इंडिया... इंडिया... ये आवाज उस वक्त सुनने को मिली जब ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम को भारत ने उसकी जमीन पर ही धूल चटा दी। पहले जहां ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी छतीस इंच की छाती लिए मैदान में घूम रहे थे उसे सत्ताईस इंच तक करने काम हमारे भारतीय खिलाड़ियों ने बखूबी किया। ब्रिस्बेन में हुए मैच के अंदर ऑस्ट्रेलिया ने 32 साल बाद बुरी तरह से हार दिखी थी। लेकिन ये सबकुछ हवा में नहीं हुआ है। जब ये टेस्ट सीरिज शुरू हुई थी तो एक-एक हमारे भारतीय खिलाड़ियों चोटिल होते जा रहे थे।
लोगों के मन में एक बार तो ये सवाल खड़ा हो गया है- क्या ऑस्ट्रेलिया की टीम को मात देगी भारतीय टीम। लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था। ऐसे शानदार 11 खिलाड़ियों को दीवार की तरह कंगारू के सामने खड़ा किया कि वो उसे तोड़ ही नहीं पाए। आइए जानते हैं उन खिलाड़ियों के बारे में एक-एक करके यहां जिन्होंने हर भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।
किसी भी खेल की सबसे अच्छी खासियत होती है उसका रहस्यमय बना रहना। क्योंकि आपको नहीं पता कि खेल के आखिर में कब क्या हो जाए। क्रिकेट में तो ये सीन सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। एक टीम जहां खेल जीतने वाली ही होती है तभी खेल पलट जाता है और दूसरी वाली टीम मैच जीत जाती है। लेकिन आपके टीम का कप्तान आपके साथ सीरीज में न हो तो आपके दिमाग में उसको लेकर प्रेशर बना जाता है। लेकिन इसमें आप कैसे समझदारी दिखाते हैं वो आपकी असली जीत होती है। ये काम भारतीय टीम के साथ भी होता हुआ नजर आया। तभी तो ये जीत इंडिया क्रिकेट टीम के लिए स्पेशल है।
मोहम्मद सिराज
भारतीय क्रिकेट टीम में एक खिलाड़ी ऐसा मौजूद था जोकि जोकि मेलबर्न खेल में भीड़ के एक छोटे से ग्रुप द्वारा किए गए दुर्व्यवहार का शिकार हुआ था। वो कोई और नहीं बल्कि मोहम्मद सिराज हैं। चार साल पहले जब उन्हें आईपीएल के लिए चुना गया था, तो उनका एक ही सपना था - अपने पिता को फिर से ऑटो चलाना न देना। पिछले महीने, जबकि वह ऑस्ट्रेलिया में अपने पहले टेस्ट को खेलने का इंतजार कर रहे थे। उस वक्त उनके पिता की मौत हो गई थी। ऐसे में अपने पिता के अंतिम संस्कार में वो शामिल भी नहीं हो सकें।
पिछले कुछ महीनों से सिराज अपने पिता की बीमारी, गाली-गलौज, एक नौजवान के चुने जाने से जुड़ी असुरक्षा की भावना से जूझ रहे थे। लेकिन कल जो उन्होंने खेल उसी तो आप बात ही मत पूछे। दूसरी पारी में पांच विकेट उन्होंने चटकाए थे। जिस वक्त सिराज ने जमीन को चूमा और उसके आँसू बह रहे थे। तभी हमें पता लग जाना चाहिए कि वो कुछ खास करने वाले हैं।
ऋषभ पंत
सोशल मीडिया पर जबरदस्त तरीके से ट्रोल होने, एक्सपर्ट द्वारा उनके खेल पर सवाल उठने के बाद भी रिषभ पंत ने कभी भी हार नहीं मानी। ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर उनका नाम न तो वनडे और न ही टी20 टीम में शामिल किया गया था। इतना ही नहीं टेस्ट सीरीज के पहले मैच में भी उनको ड्रॉप किया गया था। लेकिन जैसे ही उन्हें मौका मिला तो उन्होंने क्या चौका मारा इसका गवाह पूरा भारत है।
आईसीसी टेस्ट रैकिंग में उन्हें नंबर वन विकेटकीपर की जगह मिली है। उन्होंने मेलबर्न में शानदार 97 रन बनाए और लगभग भारत को जीत दिलाने में मदद की। तभी तो अब हर जगह उनकी तारीफों के पुल बंधते हुए नजर आ रहे हैं।
चेतेश्वर पुजारा
इन सबके बीच एक खिलाड़ी ऐसे रहे जिन्होंने न जाने अपने बदन पर इतनी सारी मार झेली है जिसका कोई हद नहीं है। यहां हम बात कर रहे हैं चेतेश्वर पुजारा की। ऑस्ट्रेलिया के साथ मैच की दूसरी पारी में ऑस्ट्रलियाई गेंदबाजों ने जीत के लिए पूरा जोर लगाया, लेकिन चेतेश्वर पुजारा ने ऋषभ पंत के साथ मिलकर उसका डटकर सामना किया। उन्होंने मैंच में 211 बॉल पर 56 की पारी खेली थी।
49वें ओवर की दूसरी बॉल से उन्हें चोट लग गई थी। उनके दाएं हाथ की उंगलियों पर बॉल लग गई थी। काफी ज्यादा तेज दर्द भी हुआ था लेकिन फिजियो ने ग्राउंड पर आकर उसे ट्रीटमेंट दिया था।
शुभमन गिल
वहीं, भारतीय क्रिकेट टीम में एक 21 साल का ऐसा खिलाड़ी देखने को मिला जिसने 91 रन गाबा में बनाए और ऑस्ट्रेलिया के अच्छे से अच्छे प्लेयर्स के होश उड़ा दिए। यहां बात हो रही है शुभमन गिल की।
शुभमन ऐसे खिलाड़ी रहे जिन्होंने गेंदबाज पैट कमिंस, मिचेल स्टार्क और जोश हेजलवुड को जबरदस्त तरीके से मात दी। उन्हें देखकर कुछ सवाल मन में खड़ा हो गए कि आखिर उनकी तरह ही यंग जनरेशन से जुड़े लोगों को डर क्यों न हीं लगता? और वो इतने भावात्मक क्यों होते हैं?
अजिंक्य रहाणे
एक ऐसा भी खिलाड़ी रहा है जिसने विराट कोहली की गैरमौजूदगी में भारत की कप्तानी की है। वो रहे हैं अजिंक्य रहाणे। उन्होंने बेहद ही शानदार तरीके से ढगमगती टीम इंडिया को बेहद ही स्थिरिता के साथ आगे बढ़ाया।
अजिंक्य रहाणे के रास्ते में कई सारे दुश्मन और विरोधी खड़े हुए नजर आए लेकिन उन्होंने हर बार जब-जब भारतीय टीम की कप्तानी संभाली और सभी को गर्व ही महसूस कराया। उन्होंने बेहद ही शांत रहते हुए और समझदारी के साथ हर परेशानी का सामना किया।
वाशिंगटन सुंदर और शार्दुल ठाकुर
वो लाइन तो आपने सभी ने सुनी होगी वक्त बदल दिया, हालात बदल दिए, जज़्बात बदल दिए। ऐसा ही कुछ मैच के दौरान वाशिंगटन सुंदर और शार्दुल ठाकुर ने किया। अपना पहला टेस्ट खेल रहे वाशिंगटन सुंदर और तीन साल बाद अपना दूसरा टेस्ट खेलने मैदान में उतरे शार्दुल ठाकुर ने इतनी शानदार बल्लेबाजी की थी, जिसके बदौलत वो टीम का स्कोर 300 के पार ले गए थे। इस जोड़ी ने एक के बाद एक कई रिकॉर्ड भी बना डालें।
वाशिंगटन सुंदर ने तो 110 साल पुराना एक रिकॉर्ड तोड़ डाला है। ऑस्ट्रेलिया में डेब्यू मैच में 7वें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए वो सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बन चुके हैं। ये रिकॉर्ड उनसे पहले इंग्लैंड के फ्रैंक फोस्टर के नाम था।
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