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मणिपुर हिंसा सरकार के लिए सिरदर्द बन गई है. करीब 18 महीने से नगा-कुकी और मैतेई समुदाय आमने-सामने हैं और जातीय हिंसा में आगजनी, बवाल और हत्याओं का सिलस
मणिपुर हिंसा की शुरुआत 3 मई को उस समय हुई, जब ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला. इसी रैली में आदिवासी और गैरआदिवासी समुदाय के बीच झड़प हो गई, जो बाद में हिंसा में तब्दील हो गई. ये रैली मैतेई समुदाय की ओर से जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में निकाल गई थी
मणिपुर हिंसा सरकार के लिए सिरदर्द बन गई है. करीब 18 महीने से नगा-कुकी और मैतेई समुदाय आमने-सामने हैं और जातीय हिंसा में आगजनी, बवाल और हत्याओं का सिलस
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