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अभी हाल ही में एक बहुत ही चौकाने वाली खबर सामने आई है। मुंबई पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह ने गुरुवार को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस जरिये से बताया कि मुंबई शहर की पुलिस टीआरपी में हेरफेर से जुड़े घोटाले की जांच कर रही है। मुंबई पुलिस का दावा है कि रिपब्लिक टीवी पैसे देकर TRP खरीदता है। मुंबई पुलिस ने कहा कि फॉल्स टीआरपी का रैकेट चलया जा रहा था। पैसा देकर फॉल्स टीआरपी हासिल की जा रही थी। इसके चलते बहुत जल्द अर्णब गोस्वामी को पूछताछ करने के लिए बुलाया जा सकता है और अगर आरोप सिद्ध होता है तो गिरफ्तारी भी हो सकती है। मुंबई पुलिस ने इस मामले में दो और चैनलों के नाम का खुलासा किया है , जिनके नाम Fakt Marathi, Box Cinema हैं। इन दोनों चैनलों के मालिकों को गिरफ्तार किया जा चुका है।आपको बता दें कि रिपब्लिक चैनल पिछले कुछ समय से सबसे ज्यादा टीआरपी वाला चैनल बन गया था और आज तक पीछे छोड़ दिया था।
अब आप सब ये सोच रहे होंगें कि आखिर क्या होता है टीआरपी? इससे चैनल को क्या फायदा होता है? तो चलिए हम बताते हैं आपको इन सभी सवालों के जवाब।
टीआरपी क्या है?
आसान शव्दों में टीआरपी से ये पता चलता है कि किसी विशेष अवधि के दौरान कितने लोगों ने सामाजिक-आर्थिक श्रेणियों ने कितने चैनलों को देखा। यह आंकलन एक घंटे, एक दिन या एक सप्ताह के लिए भी हो सकता है।आमतौर पर इस डेटा की जानकारी हर हफ्ते सांझा की जाती है।
टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा 2018 में भारत में टेलीविजन दर्शकों के माप और रेटिंग के बारे में एक परामर्श पत्र ने इसके महत्व को बताया। किसी भी कार्यक्रम की रेटिंग अगर खराब जा रही होती है तो उस कार्यक्रम को बंद कर दिया जाता है, वहीं अगर किसी कार्यक्रम की रेटिंग अच्छी जाती है तो उसे सुचारु रूप से चलाया जाता है और बहुत बेहतर बनाया जाता है।
BARC क्या है?
यह एक उद्योग निकाय है, जिसका अधिकार विज्ञापनदाताओं, विज्ञापन एजेंसियों और प्रसारण कंपनियों के पास होता है, इसकी देखरेख द इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवर्टाइजर्स, इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन और एडवरटाइजिंग एजेंसीज़ एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया द्वारा की जाती है। हालांकि यह 2010 में बनाया गया था, लेकिन I & B मंत्रालय ने भारत में टेलीविजन रेटिंग एजेंसियों के लिए 10 जनवरी 2014 को भारत में टेलीविज़न रेटिंग एजेंसियों के लिए नीति दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया और इन दिशानिर्देशों के तहत जुलाई 2015 में BARC का रजिस्ट्रेशन किया गया।
टीआरपी की गणना कैसे की जाती है?
BARC ने 45,000 से ज्यादा घरों में "BAR-O-meter" लगाया है। इन घरों को न्यू कंज्यूमर क्लासिफिकेशन सिस्टम के तहत 12 श्रेणियों में विभाजित किया गया है, 2015 में BARC द्वारा "नई SEC" को अपनाया गया, लोगों के स्तर उनकी आय के स्तर उपभोक्ता के स्वामित्व के आधार पर एक सूची बनाई गई जिसमे 11 आइटम जैसे बिजली के कनेक्शन से लेकर कार तक की एक सूची तैयार की गई। एक शो देखते समय, घर के सदस्य अपने आईडी बटन को दबाकर अपनी उपस्थिति को दर्ज करते हैं - घर के प्रत्येक व्यक्ति की एक अलग आईडी होती है - इसके आधार पर देखा जाता है कि किसके द्वारा कौनसा चैनल देखा गया, और ये डेटा उम्र के आधार पर चैनल साझा करता है। इसी आधार पर कि किस के द्वारा कितनी देर कौनसा चैनल और किस समय देखा गया ये सब गणना टीआरपी कहलाती है।
टीआरपी डेटा में कैसे सकती है धांधली?
धांधला करने के लिए ब्रॉडकास्टर्स उन घरों का पता लगाते हैं और जानकारी निकालते हैं जहां पर BARC का ये यंत्र लगा होता है, और फिर उन घरों में सम्पर्क करके सिर्फ अपना चैनल देखने के लिए रिश्वत देते हैं, या केबल ऑपरेटरों से से सम्पर्क कर पूछते हैं कि उनका चैनल टीवी ऑन होने पर "लैंडिंग पृष्ठ" पर आता है या नहीं।
टीआरपी की गणना करने के लिए, सिर्फ उन 45,000 घरों का आंकलन किया जाता है जिसमे यंत्र लगाया गया है कि उन घरों के लोग कौनसा चैनल ज्यादा देख रहे हैं। पूरा भारत किन चैनलों को देखता है इससे कोई टीआरपी पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता
क्या पैनल छेड़छाड़ टीआरपी को प्रभावित करती है?
एक बड़े उद्योग के अंदरूनी सूत्र ने बताया कि BARC ने पहले भी कई एफआईआर दर्ज की। BARC कई एजेंसियों को काम पर रखता है ताकि किसी भी एक एजेंसी के पास देश भर के पैनल घरों का पूरा नक्शा न हो।
इस सूत्र ने एक अंग्रेजी चैनल का उदाहरण देते हुए बताया कि एक अंग्रेजी चैनल की दर्शकों संख्या लगभग 1.5% है जिसका मतलब है कि कुल 45,000 पैनल में मात्र 700 लोग इस चैनल को देखते हैं लेकिन असल में ऐसा नहीं होता है उन 700 में से सिर्फ 350 घर ऐसे हैं जिनमें ये चैनल देखा जाता होगा।
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