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अमेरिका और सऊदी की 80 साल की साझेदारी ख़तरे में, प्रिंस के संबंधी ने अमेरिका को दी धमकी

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के चचेरे भाई साऊद अल-शालन का एक विडियो वायरल हो रहा है. इस विडियो में साऊद अल-शालन अमेरिका के ख़िलाफ़ हिंसा की धमकी दे रहे हैं.

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By विपिन यादव | खबरें - 17 October 2022

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के चचेरे भाई साऊद अल-शालन का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में साऊद अल-शालन अमेरिका के ख़िलाफ़ हिंसा की धमकी दे रहे हैं. दरअसल अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्ते में तेल उत्पादन में कटौती के फैसले को लेकर खटास पैदा हो गई है. हाल के दिनों में अमेरिका ने सऊदी अरब के नेतृत्व वाले तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक प्लस ने प्रतिदिन 20 लाख बैरल तेल की कटौती करने के फ़ैसले को लेकर तीखी नाराजगी जताई थी. सऊदी अरब के इस फ़ैसले से अमेरिका चिढ़ा हुआ है. अमेरिका ने इस निर्णय को लेकर कहा कि इस फैसले से रूस को फायदा पहुंचेगा.

कुछ दिनों पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस फैसले पर विरोध जताते हुए सऊदी अरब के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि सऊदी अरब के इस फैसले से रूस जैसे तेल निर्यातक देशों को लाभ होगा. बाइडेन की इसी धमकी के बाद सऊदी अल-शालन की अमेरिका के खिलाफ हिंसक धमकी सामने आई है. शालन ने पश्चिमी देशों पर हमला बोलते हुए कहा कि “किसी ने सऊदी अरब के अस्तित्व को चुनौती दी, तो हम सभी जिहाद और शहादत के लिए तैयार रहेंगे.”

तेल की कीमतों में उछाल 

वीडियों में शालन को अंग्रेजी और फ्रेंच में चेतावनी देते हुए सुना जा सकता है. सऊदी मानवाधिकार अधिवक्ता अब्दुल्ला अलाउध के मुताबिक, साऊद अल-शालन एक कबिलाई नेता और सऊदी अरब के संस्थापक रहे किंग अब्दुलअजीज के पोते हैं. तेल उत्पादन में कटौती के फैसले ने दोनों देशों को आमने-सामने लाकर खड़ा कर दिया है. रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से तेल की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है. तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक और सहयोगियों (ओपेक प्लस) ने कीमतों में तेजी लाने के लिए कच्चे तेल के उत्पादन में बड़ी कटौती करने का फैसला किया है.

अमेरिका को लग रहा है कि सऊदी अरब रूस के साथ है. तेल उत्पादन में कटौती के फ़ैसले से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की क़ीमतें बढ़ेंगी और इससे रूस की अर्थव्यवस्था को फ़ायदा होगा. दूसरी तरफ़ अमेरिका और यूरोप के देश रूस के ख़िलाफ़ यूक्रेन पर हमले के मामले में कड़े से कड़े प्रतिबंध लगा रहे हैं ताकि उसकी अर्थव्यवस्था को कमज़ोर किया जा सके.



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