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मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक से लदी कार मिलने के मामले की तफ्तीश में एक और बड़ी जानकारी सामने आई हैं। वही एंटीलिया केस की जांच कर रही एनआईए के सूत्रों के मुताबिक एंटीलिया के बाहर पूरी साजिश सचिन वाजे ने सिर्फ और सिर्फ पब्लिसिटी करने और इस बात को साबित करने के लिए की गई थी कि वो अब भी एक बेहतरीन पुलिस अफसर है और आतंक से जुड़ी साजिश की जांच वो बखूबी कर सकता हैं। एनआईए सूत्रों के मुताबिक सचिन वाजे़ से अब तक की पूछताछ और जांच के बाद ये बात सामने आई है कि इस साजिश में सचिन वाज़े के बेहद करीबी कुछ पुलिस अफसर शामिल थे।
आपको बता दें कि फिलहाल जांच में नेताओं या मुंबई पुलिस के आला अफसरों की कोई भूमिका सामने नहीं आई हैं। एनआईए सूत्रों का तो यहां तक कहना हैं कि एंटीलिया केस को उन्होंने लगभग पूरी तरह से उसे सुलझा लिया है। साजिश की सारी कड़ियां एक एक कर जुड़ती जा रही हैं। एनआईए सूत्रों का दावा है कि एंटीलिया केस के पीछे कोई आतंकी साजिश नहीं थी।
जानिए क्या है पूरा मामला
25 फरवरी की रात सचिन वाज़े खुद स्कॅार्पियो चला रहे थे। स्कॅार्पियो के पीछे भी एक इनोवा चल रही थी। ये इनोवा पुलिस की ही थी। एंटीलिया के बाहर स्कॅार्पियो पार्क करने के बाद सचिन वाज़े स्कॅार्पियो से उतर कर इनोवा में बैठ गए । इसके बाद वे वहां से निकल गए। एनआईओ सूत्रों के मुताबिक पीपीई सूट में जो शख्स नजर आ रहा है वो कोई और नहीं सचिन वाज़े ही है। इसके सबूत भी एनआईए ने बरामद कर लिए हैं। दरअसल ये कायदे से पूरा पीपीई सूट नहीं है बल्कि ओवर साइज़ कुर्ता और रुमाल हैं।
साजिश को अंजाम देने के लिए खरीदें गए थे कुर्ते
दरअसल इस साजिश को अंजाम देने के लिए साचिन वाज़े ने दो कुर्ते खरीदे थे। जिस जगह से ये कुर्ते खरीदे गए एनआईए की टीम वहां भी पहुंच गई। इनमें से एक कुर्ता जो सचिन वाज़े ने 25 फरवरी की रात पहना था उस कुर्ते को उसी रात मुलुंड टोल नाका के पास केरोसिन आयल से जला दिया था जबकि दूसरा कुर्ता एनआईए ने ठाणे में सचिन वाज़े के घर के बरामद कर लिया है। ये ठीक वही कुर्ता है जो सीसीटीवी में ये शख्स पहने नज़र आ रहा हैं।
वही सचिन वाज़े स्कॅार्पियो से उतरकर जिस इनोवा में बैठे थे उस इनोवा के ड्राइवर तक भी एनआईए पहुंची। सूत्रों के मुताबिक ये ड्राइवर फिलहाल एनआईए के ही हिरासत में हैं। इनोवा चला रहा ड्राइवर भी मुंबई पुलिस फोर्स से ही है। यानि वो पुलिसवाला है ये इनोवा भी मुंबई पुलिस ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के नागपाड़ा के रिपेयर डिपो में खड़ी थी। एनआईए सूत्रों के मुताबिक क्राइम ब्रांच के दफ्तर में पार्क काली मर्सिडीज़ से पेट्रोल और डीजल की जो बोतल मिली थी वो दरअसल कपड़ों समेत दूसरों सबूतों को जलाने के लिए थी।
एनआईए की कहानी की मुताबिक स्कॅार्पियो को लेकर सचिन वाज़े की मनसुख हिरेन से पहले ही बातचीत हो चुकी थी। सचिन वाज़े ने ही मनसुख को वारदात से करीब हफ्ते भर पहले स्कॅापियो सौंप देने को कहा था। 17 फरवरी को स्कॅापियो कब्जे में लेने के बाद सचिन वाज़े ने ही मनसुख हिरेन को अगले दिन यानि 18 फरवरी को विक्रोली थाने में स्कॅापियो चोरी की रिपोर्ट लिखाने को कहा था। एनआईए सूत्रों के मुताबिक हिरेन ने जिस ईस्टर्न एक्सप्रेस हाई वे स्कॅापियो के खराब होने और चोरी होने की बात कही थी वो असली लोकेशन नहीं है ये गाड़ी कहीं और दी गई थी।
सचिन वाज़े क्राइम ब्रांच सीआईयू यूनिट में था तैनात
सूत्रों के मुताबिक चूंकि सचिन वाज़े क्राइम ब्रांच सीआईयू यूनिट में तैनात था लिहाजा उसे पक्का यकीन था कि एंटीलिया के बाहर ऐसी कोई संदिग्ध कार मिलती है तो ऐसे हाई प्रोफाइल केस की जांच उसे ही मिलेगी। शायद ये भरोसा उसे पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के साथ नजदीकी को लेकर भी था। यही वजह है कि 25 फरवरी को जब एंटीलिया के बाहर संदिग्ध कार मिलने की खबर फैली तो एटीएस की टीम भी वहां पहुंच चुकी थी।
एटीएस के एक डीसीपी भी मौके पर आ गए थे। तब सचिन वाज़े पहले ही मौके पर मौजूद था। उसने एटीएस के उस डीसीपी से पूछा कि आप या आपकी टीम यहां क्या कर रही है ये मामला हमारी टीम संभाल लेगी। इस पर एटीएस के डीसीपी ने जब सचिन वाज़े से पूछा कि आप कौन हैं। दरअसल एटीएस के डीसीपी हाल ही में डेपुटेशन पर मुंबई पुलिस में आए थे। सचिन वाज़े सादे कपड़ों में थे लिहाजा वो उन्हें पहचान भी नहीं पाए इस पर सचिन वाज़े ने डीसीपी को पलटकर जवाब दिया कि मेरा नाम सचिन वाज़े है।
फिर सुबह होते-होते एंटीलिया केस की जांच सचमुच सचिन वाज़े के ही हाथ में आ गई और वही इस केस के जांच अधिकारी तैनात किए गए। अब तक सारी साचिश प्लानिंग के तहत ही चल रही थी। सचिन वाज़े को यकिन था कि इस केस को सुलझाकर 16 साल बाद मुंबई पुलिस में वापसी करते हुए एक बार फिर वो लाइम लाइट में आ जाएंगे लेकिन सचिन वाजे से कुछ गलतियां हो गई और इन गलतियों की वजह से केस की जांच सीधे एनआईए के हाथों में चली गई।
सचिन वाज़े को ज़रा भी यकीन नहीं था कि मामला यूं हाथ से निकलेगा। एनआईए को जांच सौपे जाने के फौरन सचिन वाज़े सबूत मिटाने के काम में जुट गए और यही वो एक के बाद एक गलती करते चले गए। उन्हीं गलतियों की वजह से वो एनआईए के जाल में फंस गए और लंबी पूछताछ के बाद एनआईए ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया तो साजिश और साज़िश की कहानी एनआईए के पास है। बस इस साज़िश में सचिन वाज़े के बाकी मददगारों को पकड़ना है। वही इस सिलसिले में क्राइम ब्रांच से ही जुड़े पांच पुलिसवाले फिलहाल एनआईए के रडार पर हैं।
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