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अभी कुछ दिनों से देश में बहुत उथल-पुथल चल रही है। कोरोना के कारण देश में भारी मंदी का दौर पहले से ही चल रहा है। अभी कुछ दिन पहले प्याज़ को लेकर बहुत सी खबरें चल रही थीं प्याज़ के मूल्यों में काफ़ी बढ़त देखी गयी थी। यहां तक कि प्याज़ के निर्यात पर भी रोक लगाई गयी थी।हालांकी बाद में निर्यात पर लगी रोक को हटा लिया गया था। अब खबर आ रही है की प्याज़ की क़ीमतों में कमी हो सकती है।
देश के सबसे ज़्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में हर महीने लगभग 2.1 लाख टन प्याज की खपत होती है - जो सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे ज़्यादा है। बिहार और महाराष्ट्र दो अन्य राज्य हैं जो हर महीने एक लाख टन से ज़्यादा की खपत करते हैं। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि घरेलू खपत साल में 165 लाख टन के करीब होने का अनुमान है, जो फसल के सालाना उत्पादन के हिसाब से काफी कम है।
हालांकि, मौसम की स्थिति के कारण फसल के नुकसान और कभी-कभी निर्यात में उछाल के जलते अक्सर दरों में बढ़ोतरी होती है। सरकार भी इस संकट से निपटने के लिए आयात का सहारा ले रही है जैसा कि अभी किया जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि इस साल आयात की हुई प्याज का पहला हिस्सा मिस्र से जल्द ही आएगा। “निजी खिलाड़ियों ने पहले ही प्रक्रिया शुरू कर दी है और इस साल आयातित प्याज का आगमन जल्द ही मिस्र से होगा।
दिल्ली जैसे कुछ शहरों को छोड़कर, कुछ शहरों में प्याज की कीमतों में मामूली कमी देखी गयी है। कर्नाटक में भारी वर्षा के कारण खरीफ की फसल में काफ़ी ज़्यादा नुकसान हुआ। रिपोर्ट के तुरंत बाद ही अगस्त के अंत से प्याज की क़ीमतों में बढ़ोत्तरी हो रही है। अधिकारियों ने कहा कि ताजा फसल में पहले के अनुमान की तुलना में कमी होने की उम्मीद है, नवंबर के दूसरे सप्ताह तक प्याज़ की मंडियों में पहुंचने की संभावना है और इससे प्याज की कीमतों पर अधिक प्रभाव पड़ेगा।
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