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भारत में बजट का इतिहास 1860 में शुरू हुआ था, बजट बनाने से लेकर पेश करने का श्रेय जेल्स विल्सन को जाता है. कुछ मायनों में इनको बजट का जन्मदाता कहना अधिक श्रेयस्कर होगा. भारत में 1 अप्रैल से 31 मार्च वाले वित्तीय वर्ष की शुरुआत 1867 से हुई थी, इसके पहले तक यह 1 मई से 31 अप्रैल हुआ करता था. बजट शब्द की शुरुआत लैटिन के बोजते या बुल्गा नामक शब्द से हुई जिसका मतलब है चमड़े का बड़ा थैला. जब सदन में आय व्यय का ब्योरा भी बैग में लाया जाने लगा तो नाम प्रचलन में आ गया "बजट".
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आजादी से पहले भारत की अंतरिम सरकार का पहला बजट मुस्लिम लीग के लियाकत अली खान ने 9 अक्टूबर 1946 से 14 अगस्त 1947 तक चलने वाले सत्र के लिये किया था, वहीं आजादी के बाद पहला बजट षण्मुखम शेट्टी 26 नवंबर 1947 को लाये थे. पहली बार 1958-59 में बजट प्रधानमंत्री होते हुये भी जवाहर लाल नेहरू ने पेश किया था क्योंकि वित्त मंत्रालय उनके अधीन था, महिला वित्त मंत्री के रूप में देश ने पहली बार नेहरू की सुपुत्री इंदिरा गांधी को 1970 के आम बजट में देखा.
वर्ष 2000 तक बजट शाम के पांच बजे पेश होता था जो 1924 से चला आ रहा था लेकिन अटल सरकार ने इसको परिवर्तित करके ब्रिटिश संसद की तरह सुबह 11 बजे का समय बजट पेश करने के लिये मुकर्रर कर दिया. 2017 से पहले तक फरवरी महीने के आखिरी दिन बजट पेश होता था लेकिन मोदी सरकार ने इसमें भी परिवर्तन करके फरवरी का पहला दिन बजट के लिये नत्थी कर दिया. 2017 से ही रेल बजट को आम बजट के साथ ही पेश करने का प्रयोग भी मोदी सरकार ने ही किया. इस वर्ष (2022) का बजट केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी को संसद में पेश किया जायेगा.
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