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रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम की पहली रेजिमेंट भारत पहुंच चुकी है. 2022 में इसे देश के उत्तरी क्षेत्र में तैनात किए जाने की संभावना है, जहां से यह पाकिस्तान और चीन से किसी भी तरह के हवाई हमले को रोक सकता है और देश की रक्षा कर सकता है.
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S-400 की दूसरी रेजिमेंट के अगले साल जून 2022 तक भारत पहुंचने की उम्मीद है. भारत तब लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश की सुरक्षा के लिए अपनी S-400 रेजिमेंट तैनात कर सकता है. विशेष रूप से, S-400 मिसाइल प्रणाली को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ वायु रक्षा प्रणालियों में गिना जाता है. S-400 कई मायनों में अमेरिका के मिसाइल डिफेंस सिस्टम से बेहतर है. इसके जरिए मिसाइल, लड़ाकू विमान, रॉकेट और यहां तक कि ड्रोन हमलों से भी बचाव किया जा सकता है. प्रत्येक रेजिमेंट में 8 लांचर होते हैं. प्रत्येक लांचर में 4 मिसाइलें होती हैं. यानी एक रेजिमेंट एक बार में 32 मिसाइल दाग सकती है.
इस सिस्टम का कमांड सेंटर 600 किमी की दूरी से हमलावर मिसाइल या विमान को ट्रैक करता है और फिर इसे 2 किमी से 400 किमी की रेंज में नष्ट कर दिया जाता है. यह प्रणाली एक बार में 80 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है और सीमा में आने पर उन्हें नष्ट कर सकती है. जरूरत पड़ने पर इसे ट्रक में लाद कर आगे भी ले जाया जा सकता है और फिर भी यह महज 10 से 15 मिनट में हमले के लिए तैयार हो जाती है. अगर इस सिस्टम को लगाया जाता है तो यह सिग्नल मिलने के 3 मिनट के अंदर जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार हो जाता है. इस सिस्टम के रडार को जाम नहीं किया जा सकता है.
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