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कोरोना वायरस के बाद अब एक और खतरनाक वायरस लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है, जिसका नाम है H3N2 Influenza। इस वायरस के चलते कर्नाटक और हरियाणा एक-एक मौत की पुष्टि हुई है। इस पूरे मामले को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय का ये कहना है कि बीमार बुर्जुगों और बच्चों को इससे सावधान रहने की जरूरत है। लेकिन राहत की बात ये है कि फ्लू के मामले घटने के मार्च में आसार है।
वैसे भारतीय सरकार के मुताबिक भारत में हर साल फ्लू के दो सीजन आते हैं। पहला होता है जनवरी से लेकर मार्च और दूसरा सीजन होता है मॉनसून खत्म होने के बाद। भारत में ओपीडी और भर्ती मरीजों में बुखार के मामलों पर निगऱानी रखी जा रही है। वहीं आईसीएसआर के मुताबिक 15 दिसंबर से बुखार के सारे मामलों में से आधे में Influenza A का सब टाइप H3N2 पाया गया है। अस्पताल में भर्ती मरीजों में से आधे H3N2 के शिकार हैं। कुल भर्ती मरीजों में से 92% को बुखार, 86% को खांसी और 27% को सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं 16% को सांस लेने में तकलीफ हुई और 16% को निमोनिया और 6% को दौरे भी पड़े। H3N2 के शिकार 10% मरीजों को ऑक्सीजन और 7% को ICU की जरुरत पड़ रही है।
क्या है H3N2 Influenza?
इन्फ्लुएंजा वायरस, जो फ्लू के रूप में जानी जाने वाली संक्रामक बीमारी का कारण बनता है, चार अलग-अलग प्रकार के होते हैं: ए, बी, सी और डी। इन्फ्लुएंजा ए को अलग-अलग सबटाइप्स में बांटा गया है और उनमें से एक H3N2 है। संयुक्त राज्य अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, H3N2 ने 1968 की फ्लू महामारी का कारण बना, जिसके कारण दुनिया भर में लगभग दस लाख लोगों की मौत हुई और अमेरिका में लगभग 100,000 लोग मारे गए।
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