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सुप्रीम कोर्ट ने साल 2000 में हुए लाल किले पर हमले के मामले में गुरुवार को यानी की आज बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने हमले के दोषी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की फांसी की सजा को बरकरार रखा है. कोर्ट ने मोहम्मद आरिफ की पुनर्विचार की याचिका को खारिज कर दिया. आरिफ ने सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर कर अपनी सजा माफ करने की मांग की थी. उसका कहना था कि वह उम्रकैद के बराबर की सजा पहले ही जेल में काट चुका है.
चीफ जस्टिस यूयू ललित और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की एक पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि उसने ‘इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड’ पर विचार करने के आवेदन को स्वीकार किया है. पीठ ने कहा, ‘‘हम उस आवेदन को स्वीकार करते हैं कि ‘इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड’ पर विचार किया जाना चाहिए. वह दोषी साबित हुआ है. हम इस अदालत द्वारा किए गए फैसले को बरकरार रखते हैं और पुनर्विचार याचिका खारिज करते हैं.’’
जाने क्या है पूरा मामला?
आपको बता दें कि लाल किले पर आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने 22 दिसंबर 2000 को आतंकवादी हमला किया था. उस हमले में दो सैनिकों समेत तीन लोग मारे गए थे. भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में लालकिला में घुसपैठ करने वाले दो आतंकवादी भी मारे गए थे. आरिफ उर्फ अशफाक इसी मामले में पकड़ा गया मुख्य आरोपी है.तब से वह दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है. बाद में आरिफ को कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. लेकिन आरिफ ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी पर रोक लगाने की याचिका दायर की थी.
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