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बिहार सरकार ने लाल ईंटों के भट्टों के लिए नए लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दी है. पारम्परिक मिट्टी की ईंटें खेत की ऊपरी परत की मिट्टी से बनाई जाती है. जिससे खेत की उपजाऊ मिट्टी बर्बाद हो रही है. जिसे बचाने के लिए बिहार सरकार लाल ईंट-भट्ठों को अब लाइसेंस नहीं देने का फैसला लिया है.
भारत में लाल ईंटों से घर बनवाना परंपरा का हिस्सा सा रहा है
यहां सदियों से लाल ईंटों से घर बनते आ रहे हैं लेकिन अब बिहार सरकार ने लाल ईंटों के भट्टों के लिए नए लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दी है. दरअसल लाल इंटे या कहें तो पारम्परिक मिट्टी की ईंटें खेत की ऊपरी परत की मिट्टी से बनाई जाती है. जिससे खेत की उपजाऊ मिट्टी बर्बाद हो रही है. जिसे बचाने के लिए बिहार सरकार लाल ईंट-भट्ठों को अब लाइसेंस नहीं देने का फैसला लिया है. हालांकि सरकार ने यह निर्णय पिछले महीने ही लिया है. वहीं पुराने ईंट-भट्ठे पहले की अपना तरह काम करते रहेंगे.
पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना किया जा सकता है राख की ईंटों का व्यापार
आपको बता दें कि पारंपरिक लाल ईंटों का व्यापार बंद होने से युवाओं के लिए रोजगार और नया व्यापार शुरू करने के नए रास्ते भी खुले हैं. छोटी पूंजी से फ्लाई ऐश यानी राख से बनी ईंटों को शुरू किया जा सकता है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि इस व्यापार में मुनाफे के साथ साथ पर्यावरण को भी सुरक्षित रखा जा सकता है. इससे प्रदूषण फैलने का खतरा कम से कम होता है. साथ ही फ्लाई ऐश से बनी ईंटों के व्यापार से आप कम समय में ज्यादा कमाई कर सकते हैं.
सरकार करेगी उद्योग में मदद
बिहार सरकार युवाओं पर युवाओं के लिए नए रोजगार के अवसर उत्पन्न करने की योजना पर काम कर रही है. लाल ईंट के भट्टों पर रोक लगाने के साथ साथ बिहार सरकार ने यह भी ऐलान किया है कि फ्लाई ऐश से बनी ईंटों का व्यापार शुरू करने के लिए एनटीपीसी के थर्मल पावर प्लांट के 300 किलोमीटर में जो भी कारोबारी अपना व्यापार शुरू करेगा . उसे सरकार की तरफ से ही फ्लाई ऐश यानी ईट बनाने के लिए राख दी जाएगी.
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