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अफगानिस्तान पर कब्ज़ा ज़माने के बाद तालिबानी संगठन ने अपनी सरकार वहां बना ली है जिसमें एक के बाद एक नए लगातार फैसले लिए जा रहे है. वही तालिबान के फैसले से अफगानी देशवासी बिल्कुल भी खुश नहीं है क्योंकि कोई भी फैसला उन लोगों के हित में नहीं लिया जा रहा है. इसी बीच तालिबानी सरकार ने एक और अचंभित करने वाला फैसला लिया गया है कि अब देश की महिलाएं कोई भी स्पोर्ट्स की हिस्सा नहीं होंगी. सभी खेलों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
तालिबान कल्चरल कमिशन के डिप्टी हेड अहमदुल्लाह वासिक ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा है कि मुझे नहीं लगता कि महिलाओं को क्रिकेट खेलने की इज़ाज़त होगी, क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि महिलाएं क्रिकेट खेलें. क्रिकेट में उन्हें ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, जहां उनका चेहरा और शरीर ढका नहीं होगा. इस्लाम औरतों को इस तरह से देखने की इज़ाज़त नहीं देता. ये मीडिया और कैमरा का ज़माना है और अगर महिलाएं क्रिकेट खेलतीं है तो इसमें उनके शरीर के बेपर्दा होने का खतरा बना रहता है. इस वजह से वे क्रिकेट के साथ-साथ किसी और खेल में हिस्सा नहीं ले सकती हैं, क्योंकि खेल के दौरान उनके शरीर की नुमाइश हो सकती है.
आपको बता दें कि इसी वर्ष नवंबर में अफगानिस्तान की महिला क्रिकेट का एक मात्र टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलिया के साथ होबार्ट में खेला जाने वाला था,जोकि अब असंभव होता नजर आ रहा है. इस मैच से सम्बंधित सवाल जब अहमदुल्लाह वासिक से पूछा गया तब उन्होंने कहा कि तालिबान समझौता नहीं करेगा. उन्होंने कहा इसके लिए अगर हमें चुनौतियों और समस्याओं का सामना करना पड़ा तो हमने अपने धर्म के लिए लड़ाई लड़ी है, ताकि इस्लाम का पालन किया जा सके. हम इस्लामी मूल्यों को पार नहीं करेंगे, भले ही इसकी विपरीत प्रतिक्रिया हो. हम अपने इस्लामी नियमों को नहीं छोड़ेंगे.
जानकारी के लिए बता दें कि अफगानिस्तान के शिक्षा मंत्री ने भी इससे पहले मास्टर्स डिग्री और पीएचडी को फालतू की पढाई करार कर चुके है. अफगान महिलाओं पर इस तरह से कहीं न कहीं ज़ुल्म किया जा रहा है. उन्हें घर से निकलने की इज़ाज़त सिर्फ ज़रूरी कामों की वजह से है. ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री डैन तेहान ने तालिबान द्वारा महिला एथलीटों को खेल खेलने से प्रतिबंधित करने के फैसले को अविश्वसनीय रूप से निराशाजनक बताया.
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