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हिंदुत्व पर ये क्या कह गए सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य? क्यों सुप्रीम कोर्ट, आरएसएस या खुद पीएम मोदी की आड़ में उन्हें उगला जहर? क्या इस बार खुद पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव लेंगे कोई कदम? समाजवादी पार्टी के सबसे चर्चित नेताओं में से एक स्वामी प्रसाद मौर्य हमेशा अपने विवादित बयानों से सुरखियों में बने रहते हैं। लेकिन इस बार उन्हें जो कहा वो खुद उन पर भारी पड़ता नज़र आ रहा है। आइए जानते हैं पूरा मामला.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने क्या कहा?
बीते सोमवार को नई दिल्ली में हुई राष्ट्रीय बौद्ध और बहुजन अधिकार सम्मेलन के दौरान उन्हें कहा, “हिंदू धर्म एक धोखा है। वैसे भी 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने ये बात कहीं थी कि हिंदू कोई धर्म नहीं बल्कि एक जीवन शैली है। यहीं नहीं, खुद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत 2 साल पहले ही कह चुके हैं कि हिंदू नाम का कोई धर्म ही नहीं है, बाल्की ये तो जीवन जीने की कला है।'
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव यहीं नहीं रुके बालकी ने पीएम मोदी को भी लपेटे में ले लिया। वो बोले, “पीएम मोदी ने भी कहा है कि हिंदू कोई धर्म नहीं है। यही बात है नितिन गडकरी जी ने भी कही थी लेकिन तब किसी की भावनाएँ आहत नहीं हुईं। अगर मैं यहीं बात कहूं तो शुद्ध देश में एफआईआर दर्ज होती हैं। मैं तो वही कह रहा हूं जो संविधान में लिखा है। अरे मैं तो ये खाता हूं कि जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं वो दरसल कुछ लोगों के लिए एक धंधा है।”
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी बात रखे हुए कहा कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री संविधान को कमजोर कर रहे हैं, आरक्षण हटाये जा रहे हैं, या लोकतंत्र की शक्ति कमजोर पड़ रही है।
क्या बोले अखिलेश यादव?
25 दिसंबर को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने महा ब्राह्मण समाज पंचायत में इसका हिस्सा लिया, जहां ब्राह्मण समाज ने स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान का मुद्दा उठाया। वहां नेताओं ने कोई नाम लिया बिना सपा सुप्रीमो के सामने मौर्य की शिक्षा की। क्या बीटी पर हमी भारते हुए अखिलेश यादव ने माना कि धर्म या जाति पर किसी भी तरह का कमेंट करना सही नहीं है।
नामांकन का पलटवार!
सपा नेता के इस बयान पर विपक्ष ने जामकर हमला बोला। केंद्रीय मंत्र नित्यानंद राय ने कहा, “स्वामी प्रसाद मौर्य से लेकर भारत गठबंधन के नेता तक, इनमें से कोई भी “धर्म” का मतलब नहीं जानता। इनकी विचार धारा वोटों के लिए बनाई गई मन मनुहार पर चलती है।”
अब ऐसे में मौर्य को लेकर सपा पर दबाव बनना तो तय है। कई समय से चले आ एक के बाद एक विवाद बयान देने वाले ये सपा नेता इस बार अपने ही दलदल में फंस गए हैं।
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