आरबीआई ग्राहकों को धोखा देने वाली वेबसाइटों और फोन नंबरों का डेटाबेस बनाने के लिए एक धोखाधड़ी रजिस्ट्री स्थापित करने पर विचार कर रहा है. इससे डिजिटल फ्रॉड को रोकने में मदद मिलेगी.
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आरबीआई के कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार ने कहा है कि ऐसी वेबसाइट और फोन नंबर जिनके जरिए ग्राहक ठगी का शिकार हो रहे हैं. ऐसी वेबसाइटों और फोन नंबरों का डेटाबेस होने से डिजिटल जालसाजों को धोखाधड़ी करने से रोकने में काफी मदद मिलेगी. धोखाधड़ी रजिस्ट्री स्थापित करने से पहले आरबीआई विभिन्न हितधारकों, भुगतान और निपटान विभागों से बात कर रहा है.
रियल टाइम फ्रॉड पर नजर
माना जा रहा है कि पेमेंट सिस्टम कंपनियों को फ्रॉड रजिस्ट्री का एक्सेस दिया जाएगा ताकि वे रियल टाइम फ्रॉड पर नजर रखने के साथ-साथ इसे रोकने में भी सक्षम हो सकें. इस फ्रॉड डेटा के जरिए ग्राहकों को डिजिटल फ्रॉड के खतरे के बारे में भी जागरूक किया जाएगा. नवंबर 2021 में आरबीआई के बैंकिंग लोकपाल के शुभारंभ के बाद, बैंकिंग लोकपाल कार्यालयों ने धोखाधड़ी पीड़ितों की शिकायतों को दूर करने के लिए 2020 में 95 दिन पहले लिया, जो अब 38 दिनों तक कम हो गया है. आरबीआई का बैंकिंग लोकपाल ग्राहकों की शिकायतों को हल करने में मदद करता है.
92.52 फीसदी मामलों का निपटारा
बैंकिंग लोकपाल के तहत आरबीआई को प्राप्त शिकायतों में 2020-21 में 15.7 प्रतिशत और 2021-22 में 9.39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. हालांकि इस दौरान मामलों के निस्तारण में भी इजाफा हुआ है. 2019-20 में जहां 92.52 फीसदी मामलों का निपटारा हुआ, वहीं 2021-22 में यह बढ़कर 97.57 फीसदी हो गया है.
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