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भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को कहा कि रेपो रेट में वृद्धि नहीं करने का फैसला सिर्फ एक ठहराव है और भविष्य की नीतिगत कार्रवाइयां पूरी तरह से उस समय के आंकड़ों पर निर्भर करेंगी. इसी समय, केंद्रीय बैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति में स्थायी कमी के लिए अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है. इससे पहले दिन में, आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा.
मौद्रिक नीति की घोषणा
दास ने मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद संवाददाताओं से कहा, 'मुद्रास्फीति पर करीबी और सतर्क नजरिया बनाए रखना जरूरी है. क्योंकि मानसून और अल नीनो का असर अनिश्चित रहता है. हमारा लक्ष्य मुद्रास्फीति को सतत तरीके से 4 फीसदी से नीचे रखना है.
मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान
नीतिगत कार्रवाई हमेशा बदलती स्थिति पर निर्भर करेगी. हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि मुद्रास्फीति में गिरावट टिकाऊ हो." केंद्रीय बैंक में डिप्टी गवर्नर और मौद्रिक नीति विभाग के प्रमुख माइकल पात्रा ने कहा कि वर्ष के लिए नीतिगत रुख और मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान इस धारणा पर आधारित है कि मूल्य सूचकांक इस वर्ष 5.1 प्रतिशत के करीब रहेगा. यह अनुमान धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि और अल नीनो प्रभाव के लिए समायोजित किया गया है.
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