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4 राज्यों में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जबकि पांचवें राज्य में चुनाव बाकी हैं. बात तेलंगाना की है. जहां 30 नवंबर को वोटिंग होनी है. बीआरएस, कांग्रेस, बीजेपी और एआईएमआईएम ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. वहीं, चुनाव प्रचार में तीखी टिप्पणियों का दौर भी जारी है. राहुल गांधी के बयान से सियासी पारा गर्म हो गया है. राहुल गांधी ने केसीआर और औवेसी को राजनीतिक तौर पर पीएम मोदी के साथ जोड़कर जनता को एक अलग संदेश देने की कोशिश की है, लेकिन उनकी इस कोशिश को आज पीएम मोदी ने नाकाम कर दिया.
औवैसी ने राहुल गांधी पर तंज कसा
पीएम मोदी ने जनता को जो संदेश दिया है, उसका असर 3 दिसंबर को पता चलेगा, जब ईवीएम से वोटों की गिनती होगी, लेकिन उससे पहले राहुल के बयान का असर असदुद्दीन ओवैसी पर भी पड़ा है. औवैसी ने पलटवार करते हुए राहुल गांधी पर तंज कसा. अब सवाल उठता है कि तेलंगाना में कौन किसके साथ है. क्या नेताओं के ऐसे बयानों से जनता में भ्रम पैदा नहीं होगा? क्या नेताओं के इन बयानों से तेलंगाना की राजनीतिक जमीन पर कोई फर्क पड़ने वाला है?
कांग्रेस पार्टी और बीआरएस की पहचान
तेलंगाना में दोस्ती, प्यार और सियासी तकरार ऐसी है कि कोई समझ नहीं पा रहा कि कौन किसके साथ है. मेडक रैली में पीएम मोदी ने दिया नया नारा. कांग्रेस पार्टी और बीआरएस की पहचान एक जैसी बताई गई थी, लेकिन तेलंगाना में पीएम मोदी का ये बयान ऐसे ही नहीं आया. दरअसल, आदिलाबाद की जनसभा में राहुल गांधी ने पीएम मोदी के कंधे का इस्तेमाल कर ओवैसी और केसीआर पर सियासी वार किया. उन्होंने कहा था कि मोदी जी के दो दोस्त हैं, औवेसी और केसीआर. केसीआर ने दिल्ली में पीएम मोदी की मदद की.
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