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सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए आज कहा कि ‘हाईकोर्ट की इजाजत के बिना सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले वापस नहीं लिए जाएंगे’. कोर्ट ने कहा कि ‘राज्य सरकारें संबधित हाईकोर्ट की इजाजत के बिना केस वापस नहीं ले सकेगी’. हाईकोर्ट हाल ही में केरल के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर भी फैसला देंगे. कोर्ट ने ये भी कहा है कि ‘सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, चीफ जस्टिस को सांसद और विधायको के खिलाफ लंबित, निपटारे की जानकारी दे. सीबीआई कोर्ट और अन्य कोर्ट सांसदो और विधायकों के खिलाफ लंबित मामले की सुनवाई जारी रखे. सांसदो/विधायको के खिलाफ आपराधिक ट्रायल के जल्द निपटारे की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट स्पेशल बेंच का गठन करेगा’.
सासंदों/ विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल न करने पर केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई. CJI एनवी रमना ने कहा कि ‘हमने शुरू में ही केंद्र से आग्रह किया था कि वो सांसदों/ विधायकों से संबंधित लंबित मामलों में गंभीर हो, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कुछ नहीं हुआ. कोई प्रगति नहीं हुई’. ED की स्टेट्स रिपोर्ट पेपर में छपने पर नाराज़गी जताई कहा कि ‘आज हमने पेपर में रिपोर्ट पढ़ी. सब मीडिया को पहले मिल जाता है. एजेंसी अदालत को कुछ नहीं देती. ED के हलफनामा भी फॉर्मेट में नहीं है और इसमें सिर्फ आरोपियों की सूची है’. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया. कोर्ट ने दो हफ्ते के समय के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने ये बड़ा कदम एमिक्स क्यूरी विजय हंसारिया की रिपोर्ट पर उठाया. इसके मुताबिक, यूपी सरकार मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी बीजेपी विधायकों के खिलाफ 76 मामले वापस लेना चाहती है. कर्नाटक सरकार विधायकों के खिलाफ 61 मामलों को वापस लेना चाहती है. उतराखंड और महाराष्ट्र सरकार भी इसी तरह केस वापस लेना चाहती हैं.
CBI की तरफ से SG तुषार मेहता ने कहा कि ‘CBI ने इस मामले में अभी स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल नहीं की है. कुछ समय चाहिए रिपोर्ट दाखिल करने के किए’. SG तुषार मेहता ने कोर्ट से फॉर्मेंट के हिसाब से स्टेट्स रिपोर्ट दाख़िल करने के लिए समय मांगा. CJI ने कहा कि ‘एक स्पेशल बेंच का गठन करना होगा, जो इन मामलों की निगरानी करेगी’. तुषार मेहता ने कहा कि ‘वो भरोसा दिलाते हैं कि केंद्र सरकार इसके लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. जल्द ही सही तरीके से स्टेटस रिपोर्ट जारी की जाएगी’. वकील कामिनी जयसवाल ने कहा कि ‘अकेले गुजरात में 7000 अपील लंबित हैं. अदालती आदेश सिर्फ ट्रायल को लेकर है’. CJI ने कहा कि वो इन मुद्दों पर स्पष्टीकरण के लिए स्पेशल बेंच का गठन करेंगे.
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