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सौराष्ट्र तमिल संगमम के समापन समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुडे़ पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, भारत कठिन से कठिन हालातों में भी कुछ नया करने की ताकत रखता है, सौराष्ट्र और तमिलनाडु का साझा इतिहास हमें ये भरोसा देता है... हमें सांस्कृतिक टकराव नहीं तालमेल पर बल देना है.

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By विपिन यादव | खबरें - 26 April 2023

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार यानी की आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सौराष्ट्र तमिल संगमम के समापन समारोह में शामिल हुए. इस समारोह के समापन के दौरान उन्होंने, श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा 'सौराष्ट्र-तमिल संगमप्रशस्ति' पुस्तक का विमोचन किया. पीएम मोदी ने संबोधित करते हुए कहा, सौराष्ट्र तमिल संगमम का यह आयोजन केवल गुजरात और तमिलनाडु का संगम नहीं है, ये देवी मीनाक्षी और देवी पार्वती के रूप में एक शक्ति की उपासना का उत्सव भी है.

भारत की दो प्राचीन धाराओं का संगम देख रहे हैं:PM

प्रधानमंत्री ने कहा, आजादी के अमृतकाल में हम सौराष्ट्र तमिल संगमम जैसे सांस्कृतिक आयोजनों की एक नई परंपरा के गवाह बन रहे हैं. कुछ महीने पहले बनारस में काशी तमिल संगमम का आयोजन हुआ था जिसकी पूरे देश में चर्चा हुई थी. आज सौराष्ट्र की धरती पर एक बार फिर हम भारत की दो प्राचीन धाराओं का संगम होता देख रहे हैं.

हम विविधता को मनाने वाले लोग हैं; PM 

पीएम ने कहा, भारत विविधता को विशेषता के रूप में जीने वाला देश है. हम विविधता को मनाने वाले लोग हैं. हम अलग-अलग भाषाओं और बोलियों को, कलाओं और विधाओं को मनाते हैं. हमारी आस्था से लेकर अध्यात्म तक, हर जगह विविधता है.

हमें संघर्षों को नहीं संगम और समागमों को आगे बढ़ाना है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, भारत कठिन से कठिन हालातों में भी कुछ नया करने की ताकत रखता है, सौराष्ट्र और तमिलनाडु का साझा इतिहास हमें ये भरोसा देता है... हमें सांस्कृतिक टकराव नहीं तालमेल पर बल देना है. हमें संघर्षों को नहीं संगम और समागमों को आगे बढ़ाना है. हमें भेद नहीं खोजने, हमें भावनात्मक संबंध बनाने हैं.

गुजरात और तमिलनाडु के बीच साझा संस्कृति

बता दें कि पीएम मोदी की पहल के माध्यम से एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया. ‘सौराष्ट्र तमिल संगमम’ गुजरात और तमिलनाडु के बीच साझा संस्कृति और विरासत का जश्न मनाकर इस दृष्टि को आगे बढ़ाता है. सदियों पहले, कई लोग सौराष्ट्र क्षेत्र से तमिलनाडु चले गए थे.


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