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देश में चिकित्सा शिक्षा के शीर्ष नियामक निकाय, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने कहा है कि सभी उम्मीदवारों के लिए स्नातक मेडिकल प्रवेश परीक्षा, एनईईटी-यूजी में उपस्थित होने के लिए अधिकतम आयु सीमा हटा दी गई है.
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सरकार कट ऑफ अंक में ढील देने पर विचार कर सकती है
भारत में कई ऐसे विद्यार्थी हैं जो पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन फीस के लिए इतने पैसे स्कूल कॉलेजों में नहीं बनाते इसलिए अपने सपने लेकर उन्हें दूर देशों की ओर रुझान करना पड़ता है अभी हाल ही में हुए रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध में हजारों छात्र फंसे हुए थे इसको देखते हुए फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन ने परीक्षाओं के लिए कट ऑफ मानदंड में संशोधन के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से अपील की है. प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एशियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. तामोरिश कोले ने कहा कि, यह नियमित तौर पर नहीं हो सकता लेकिन वर्तमान में जो हालात हैं, उनको देखते हुए सरकार एक बार कट ऑफ अंक में ढील देने पर विचार कर सकती है.
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सरकारी फीस लागू
आपको बता दें कि, भारत में निजी और सरकारी सहित लगभग 500 मेडिकल कॉलेज हैं. जिनमें हर साल 70 हजार से 80 हजार छात्र प्रवेश लेते हैं. वहीं डॉ. तामोरिश कोले का कहना है कि, निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटों की कमी और महंगी फीस के कारण कई मेधावी छात्र अपनी पढ़ाई के लिए विदेशों की ओर अपना रुख कर रहे हैं. यही कारण है कि निजी मेडिकल कॉलेजों में सरकारी कॉलेज शुल्क संरचना में 50 प्रतिशत सीटें रखने की घोषणा की गई है. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने प्राइवेट कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में 50 फीसदी सीटों पर फीस के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं. नवीनतम दिशानिर्देशों के अनुसार प्राइवेट कॉलेजों में 50 फीसदी सीटों की फीस अब किसी भी सरकारी कॉलेज के बराबर होगी.
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