Hindi English
Login

Maharana Pratap के सामने पानी पीते थे Akbar, पूरा देश है उनकी वीरता का कायल

Maharana Pratap Jayanti: जानिए ऐसे योद्धा की कहानी जिसके एक वार से ही दुश्मन के छूट जाते थे पसीने, ऐसे Akbar संग हुआ था उनका युद्ध.

Advertisement
Instafeed.org

By Deepakshi | खबरें - 09 May 2021

राजपूतों की आनृ बान और शान कहे जाने वाले महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की आज जयंती है. वीरता और बहादुरी के मामले में कोई सानी नहीं था. दिल्ली की गद्दी की आंखों की किरकरी बनने वाले महाराणा प्रताप को पूरा देश वीरता के लिए याज करता है. महाराणा प्रताप को आज़ादी पसंद थी, महाराणा प्रताप (Maharana Pratap Jayanti) ने आज तक किसी की भी गुलामी के आगे अपना सिर नहीं झुकाया. उन्होंने अकबर (Akbar) से लोहा लेकर दुनिया के सामने ये साबित किया कि आखिर वो क्यों महाराणा कहलाते हैं. वो मुगल सम्राट अकबर के साथ लड़ाई करते रहे हैं.

महाराणा प्राप्त का जन्म 9 मई 1540 को हुआ था.  महाराणा प्रताप उदय सिंह द्वितीय और महारानी जयवंता बाई के सबसे बड़े बेटे थे. वो एक महावीर और युद्ध रणनीति कौशल में काफी माहिर थे.  उन्होंने हमेशा मेवाड़ की मुगलों से रक्षा करने का काम किया और अपने आन-बान के लिए कभी भी समझौता तक नहीं किया, जोकि कई बार कुछ राजा कर लिया करते थे. कितनी भी बड़ी परेशानी क्यों न आ जाती थी वो हमेशा उसका सामना करते थे.


ये भी पढ़े:Hindustani Bhau को Mumbai Police ने किया Arrested, छात्रों के समर्थन में कर रहे थे विरोध

गद्दी के लिए हुआ इतना विरोध

महाराणा को अपने पिता की गद्दी हासिल करने के लिए अपनी सौतेली मां रानी धीरबाई के विरोध का सामना करना पड़ा था. वो चाहती थी कि गद्दी उनके बेटे कुंवर जगमाल को मिल जाए, लेकिन अफसोस राज्य के मंत्री और दरबारी महाराणा प्रताप के पक्ष में थे. इसके बाद गुस्से में आकर  जगमाल ने मेवाड़ को छोड़ दिया था. वो अजमेर में जाकर फिर अकबर के संपर्क में आए थे. अकबर ने उन्हें जहाजपुर की जागीर उपहार के तौर पर दे दी थी.

वो एक शानदार और बेमिसाल ताकतवर योद्धा थे, इसमें किसी भी तरह का कोई शक नहीं है. उनका कद 7 फुट 5 इंच का था. वो अपने साथ 80 किलों का भाला और साथ ही दो तलवार भी रखा करते थे, जिनका वजन 208 किलो हुआ करता था. खुद उनके अकेले कवच का वजन 72 किलो का था. ऐसा कहा जाता है कि उनकी तलवार के एक ही वार से घोड़े के दो टुकड़े हो जाया करते थे.


अकबर ने भजे थे 6 प्रस्ताव

18 जून 1576 के हल्दी घाटी में एक बड़ा युद्ध हुआ था. उससे पहले अकबर ने महाराणा के पास 6 प्रस्ताव भेजे लेकिन महाराणा ने अकबर की अधीनता में मेवाड़ को बिल्कुल भी नहीं स्वीकारा था. बाद में अकबर ने मानसिंह और असफ खान को महाराणा से युद्ध करने के लिए भेजा और एक विशाल सेना भी जोकि महाराणा प्राप्त की सेना से कई गुना ज्यादा थी. उदयपुर से 40 किलोमीटर की दूर हल्दी घाटी में दोनों सेनाएं मिली थी.

ये भी पढ़ें: Corona की नई Strain को लेकर Delhi Government ने इन दो राज्यों की एंट्री को किया सख्त

भले ही इस युद्ध में जीत मुगल गए हो लेकिन देखा जाए तो असल में जीत किसी की भी नहीं हुई थी. महाराणा प्रताप ने मुगलों की नाक में दम किया हुआ था, यह युद्ध एक दिन तक चला था और इसमें हजारों लोग  मारे गए थे. ऐसा भी कहा जाता है कि मुगल महाराणा प्रताप और उनके परिवार का कुछ भी नहीं बिगड़ सकते थे. अपने घोड़े चेतक की मौत और खुद घायल हो जाने के बाद महाराणा प्रताप मैदान से बच निकलने में सफल हुए थे.


Advertisement
Advertisement
Comments

No comments available.