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एक बेहद ही बड़ी खबर सामने आई है, जिसको लेकर हर कोई शोक जताता हुआ दिखाई दे रहा है। बड़े बिजनेसमैन की लिस्ट में शामिल रतन टाटा ने मुंबई के एक हॉस्पिटल में अपनी आखिरी सांसे ली हैं। रतन टाटा के निधन की खबर सुनने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर बिजनेसमैन मुकेश अंबानी ने शोक जताया है। अब सभी के मन में ये सवाल उठाता हुआ दिखाई दे रहा है कि आखिर उनकी विरासत को कौन संभालेगा?
रतन टाटा ने अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाया था। ऐसे में उनके ट्रस्ट ट्रस्टियों में से एक ही अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। टाटा समूह के दो मुख्य ट्रस्ट हैं- सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट। इन दोनों ट्रस्टों की संयुक्त रूप से टाटा समूह की मूल कंपनी टाटा संस में करीब 52 फीसदी हिस्सेदारी है। टाटा संस की टाटा समूह की कंपनियों का संचालन करता है। यह समूह विमानन से लेकर एफएमसीसी तक के पोर्टफालियो को संभालता हैं। दोनों ट्रस्टों में कुल 13 ट्रस्टी है। यह समूह विमानन से लेकर एफएमसीसी तक के पोर्टफोलियो को संभालता है. दोनों ट्रस्टों में कुल 13 ट्रस्टी हैं. इनमें से लोग दोनों ट्रस्टों में ट्रस्टी हैं. इनमें पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह, ऑटोमोबाइल क्षेत्र के दिग्गज वेणु श्रीनिवासन,रतन टाटा के सौतेले भाई और ट्रेंट के चेयरमैन नोएल टाटा, व्यवसायी मेहली मिस्त्री और वकील डेरियस खंबाटा के नाम शामिल हैं।
पारसियों ने संभाली है टाटा की कमान
इन सबके अलावा एक ऐतिहासिक तय्थ यह भी है कि केवल पारसियों ने ही टाटा ट्रस्ट की कमान संभाली है। हालांकि कुछ के नाम में टाटा नहीं लगा था और उनका ट्रस्ट के संस्थापक परिवार से कोई सीधा रिश्ता नहीं था। अगर नोएल टाटा इन ट्रस्टों के प्रमुख चुने जाते हैं तो वे सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के 11वें अध्यक्ष और सर रतन टाटा ट्रस्ट के छठे अध्यक्ष बनेंगे।
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