Story Content
5 अगस्त 2019 ने अनुच्छेद 370 की रेखा को मिटाकर भारत के इतिहास में एक बेजोड़ गाथा लिखी. ठीक 717 दिन पहले आज ही के दिन भारत की संसद के निचले सदन लोकसभा में संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने का प्रस्ताव पेश किया गया था. जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस ऐतिहासिक संकल्प को पढ़ रहे थे, देश टीवी पर बनते हुए इतिहास को देख रहा था, देश एक सपने को हकीकत बनते देख रहा था और देश अपने सिर पर ताज पहने हुए था.
धारा 370 के तहत कौन से कानून थे?
370 की जंजीरों ने देश को एक देश, दो कानून, दो सिर और दो निशान का एहसास कराया. जम्मू और कश्मीर राज्य को अनुच्छेद 370 के तहत विशेष अधिकार प्राप्त थे. जम्मू और कश्मीर का एक अलग झंडा और एक अलग संविधान था. रक्षा, विदेशी और संचार के विषयों को छोड़कर सभी कानून बनाने के लिए राज्य की अनुमति आवश्यक थी. जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता प्राप्त थी. दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सके. अनुच्छेद 370 ने जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिया, लेकिन इसने संविधान के उन मौलिक अधिकारों को भी चोट पहुंचाई, जिन्हें संविधान निर्माता बाबासाहेब अंबेडकर ने संविधान की आत्मा कहा था. 72 साल से जम्मू-कश्मीर और देश के बीच अनुच्छेद 370 का फासला था, जिसने दो साल पहले आज ही के दिन इतिहास रचा था और एक नए कश्मीर की कहानी लिखी थी.
पथराव की घटनाओं में कमी
धारा 370 हटने के बाद पथराव, आतंकी घटनाओं में कमी आई है तो अलगाववादियों की जमीन भी खिसक गई है. साल 2018 में कश्मीर में पथराव की 1,458 घटनाएं हुईं, 2019 में यह बढ़कर 1,999 हो गई, फिर 370 हटाई गईं और अगले साल यानी 2020 में पथराव की केवल 255 घटनाएं हुईं. इस साल यानी 2021 में जनवरी से जुलाई के बीच सिर्फ 76 घटनाएं हुई हैं.
Comments
Add a Comment:
No comments available.