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कड़वी फूट और महीनों के झगड़े के बाद, तत्कालीन लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के दो धड़ों को अब अलग-अलग नामों से जाना जाएगा. चिराग पासवान के गुट को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नाम से जाना जाएगा, वहीं पशुपति पारस के गुट को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी कहा जाएगा.
चुनाव आयोग ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को एक हेलीकॉप्टर और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को एक सिलाई मशीन का चुनाव चिन्ह आवंटित किया है. चुनाव आयोग ने अपने फैसले से बिहार के मुख्य चुनाव अधिकारी को अवगत करा दिया है. यह भी निर्देश दिया गया है कि उपचुनाव कराने वाले रिटर्निंग ऑफिसर को तत्काल सूचित किया जाए कि इन दोनों गुटों के उम्मीदवारों को मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दलों के उम्मीदवार के रूप में माना जाए. इसी के साथ बिहार में होने वाले उपचुनाव में चिराग पासवान पहली बार चाचा पशुपति पारस से भिड़ेंगे. पिछले साल लोजपा नेता रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके बेटे चिराग पासवान और दिवंगत नेता के भाई पारस ने पार्टी नेतृत्व पर दावा किया था और इस संबंध में चुनाव आयोग से संपर्क किया था.
कुशेश्वर अस्थान और तारापुर विधानसभा सीटों पर 30 अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव से पहले पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न को सुरक्षित करने की लड़ाई तेज हो गई है. चुनाव आयोग ने चिराग पासवान और पशुपति पारस गुटों को लोजपा के नाम या उसके चुनाव चिह्न 'बंगले' के इस्तेमाल से तब तक रोक दिया था जब तक कि वह प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच विवाद को सुलझा नहीं लेता. पोल पैनल ने तब कहा था कि दोनों समूह अपनी पसंद के नाम चुनने के लिए स्वतंत्र हैं, जिसमें वे चाहें तो अपनी मूल पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी के साथ संबंध भी शामिल कर सकते हैं.
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