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कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच अमेरिका में रेस्पिरेटरी सिन्शियल वायरस (RSV) ने एक नई मुसीबत दस्तक दे दी है. यह अत्यधिक संक्रामक रोग 2 सप्ताह से 17 वर्ष तक के बच्चों को प्रभावित कर रहा है. अमेरिका के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है. विशेषज्ञ भी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अगर बच्चों में कोविड-19 के मामले बढ़े तो वे क्या करेंगे.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट ने रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि आरएसवी के मामले जून में धीरे-धीरे बढ़े, जो पिछले महीने की तुलना में बहुत अधिक है. आरएसवी को अनुबंधित करते समय बहती नाक, खांसी, छींकने और बुखार जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं. ह्यूस्टन में टेक्सास चिल्ड्रन हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ हीथर हॉक ने एक ट्वीट में कहा"कई महीनों के शून्य या बहुत कम मामलों के बाद, नवजात शिशुओं, बच्चों और किशोरों को अब अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है. यह संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.
भारत में बच्चों के टीकाकरण की स्थिति क्या है?
भारत में बच्चों का टीकाकरण जल्द से जल्द शुरू करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा था कि केंद्र अगले महीने से बच्चों को कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीन देना शुरू कर सकता है. जानकारों के मुताबिक संक्रमण की चेन को रोकने और दोबारा स्कूल शुरू करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम साबित होगा. भारत बायोटेक की कौवैक्सीन और जायडस कैडिला वैक्सीन बच्चों के लिए टीकों का परीक्षण कर रही हैं.
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