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कोरोना वायरस का लगातार कहर जारी है है. हर रोज कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है. वहीं कोरोना वायरस संक्रमण अपने जाल को कैसे फैलै रहा है यह एक पहेली बना हुआ है. अमेरिकी संस्था सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) में कहा गया है कि भले ही कोई व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति से 6 फीट दूर है, तो भी हवा में मौजूद वायरस से उसको संक्रमण हो सकता है.
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हवा में मौजूद है वायरस के सूक्ष्म कण
सीडीसी का कहना है कि दूरी के बावजूद, हवा में मौजूद वायरस के सूक्ष्म कण सांस के माध्यम से शरीर में पहुंच सकते हैं. हाल ही में, प्रतिष्ठित मेडिकल जनरल लैंसेट ने भी हवा के वायरस के संक्रमण की पुष्टि की थी.वर्जीनिया टेक्नोलॉजी के एक एयरोसोल विशेषज्ञ, लिन्से मार का कहना है कि कार्यस्थलों को बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. एक संक्रमित कर्मचारी उस कार्यालय में काम करने वाले सैकड़ों कर्मचारियों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है. जॉर्ज वाशिंगटन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के महामारी विशेषज्ञ डॉ डेविड माइकल का कहना है कि वायरस हवा के कणों में मौजूद है.
कार्यस्थल की सुरक्षा होनी चाहिए
मैरीलैंड विश्वविद्यालय के एयरोसोल वैज्ञानिक डोनाल्ड मिल्टन का कहना है कि हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों में वायरस की उपस्थिति चिंताजनक है. कार्यस्थलों को सुरक्षित करने पर जोर देना होगा, ताकि वायरस को यहां काम करने वाले लोगों के बीच फैलने का मौका न मिले. हवा में वायरस की उपस्थिति का मतलब है कि संक्रमण की रफ्तार को और तेज किया जा सकता है.
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बंद कार्यालय या कमरा हो सकते है खतरनाक
डॉक्टर माइकल बताते हैं कि सीडीसी की नई जानकारी के आधार पर, यह कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस के प्रसार के लिए बंद कमरे या कार्यालय नए केंद्र हो सकते हैं. हैरानी की बात है कि वायरस हवा में मौजूद एक सूक्ष्मकण में वायरस घंटों तक जीवित रह सकता है. वही ये वायरस ऐसी जगह पर जीवित रहने की अधिक संभावना है जहां खुली हवा नहीं पहुंचती है.
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