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Chandrayaan 3 Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने आज के दिन चौथी बार चंद्रयान 3 में बदलाव किया है. अब अगला हफ्ता बेहद खास होने वाला है. क्योंकि 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर उतरेगा. लेकिन चांद पर सिर्फ भारत का ही मिशन नहीं है और भी कई मिशन वहां मौजूद हैं या दस्तक देने वाले हैं.
इस वक्त चांद पर हालात 'ट्रैफिक जाम' जैसे हो गए हैं। जिस तरह भारत ने चंद्रमा पर अपना मिशन भेजा है, उसी तरह कई अन्य देशों ने भी चंद्रमा पर अपना मिशन भेजा है. चंद्रमा की कक्षा में अन्य देशों के भी कई मिशन हैं, जो जल्द ही चंद्रमा पर उतरकर वहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले हैं.
केस्टोन चंद्रमा की कक्षा
चंद्रमा की कक्षा में फिलहाल 6 सक्रिय मिशन हैं और कई अन्य मिशन कतार में हैं. चंद्रयान के अलावा नासा का लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर, नासा के ARTEMIS के तहत दो और मिशन, कोरिया पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर और नासा का केस्टोन चंद्रमा की कक्षा में मौजूद हैं.
चांद की सतह का नक्शा
मालूम हो कि नासा के लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर को 2009 में लॉन्च किया गया था और इसके जरिए चांद की सतह का नक्शा पता लगाने की कोशिश की जा रही है. इसके अलावा नासा के ARTEMIS के P1 और P2 मिशन जून 2022 से चंद्रमा की कक्षा में हैं. इसके साथ ही NASA का कैपस्टोन NRH भी कक्षा में है.
आपसी टकराव से बचने जैसी चुनौतियां
वहीं, रूस का लूना 25 मिशन लॉन्च किया गया है. यह 16 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर सकता है. इसके जरिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का पता लगाया जाएगा और चंद्रयान के तुरंत बाद यह चंद्रमा पर उतरेगा भी. आपको बता दें कि अधिक मिशनों के साथ आपसी टकराव से बचने जैसी चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं। इस बीच, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने न केवल अभी बल्कि आने वाले सालों के लिए चंद्रमा इर्द-गिर्द यात्रा करने के लिए विश्लेषण किया है.
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