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छत्तीसगढ़ के कोरबा में एक जज की दरियादिली का अनोखा मामला सामने आया है. जहां जिला सत्र न्यायाधीश खुद एक विकलांग शिकायतकर्ता के पास गए. इतना ही नहीं उन्होंने बीच सड़क पर फैसला भी सुना दिया. फैसले में उन्होंने कंपनी को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया.
दरअसल, तीन साल पहले एक सड़क हादसे में एक विकलांग युवक ने बीमा कंपनी के खिलाफ आवेदन किया था. 11 सितंबर को कोरबा स्थित लोक अदालत में युवक के मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के लिए पहुंचे विकलांग युवक चल-फिर नहीं पा रहे थे. बता दें कि कोरबा जिला सत्र न्यायाधीश बीपी वर्मा को विकलांग युवक की सूचना मिली कि वह चलने में लाचार है तो वह खुद अपनी गाड़ी के पास पहुंच गया. इसके अलावा युवक के मामले से जुड़े दस्तावेज और मामले से जुड़े पक्ष को कार के पास ही बुलाया गया. वहीं, सुनवाई के बाद शिकायतकर्ता विकलांग युवक व बीमा कंपनी के बीच सुलह करायी गयी. इस्तीफे के बाद कोर्ट ने युवक को बीस लाख रुपये मुआवजा राशि देने का फैसला दिया.
तीन साल से लंबित था केस
तीन साल से मामले की सुनवाई चल रही थी। लेकिन शनिवार को जज द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद दिव्यांग शिकायतकर्ता द्वारका प्रसाद ने खुशी जाहिर की और इस पहल के लिए कोर्ट को धन्यवाद दिया. शिकायतकर्ता के अनुसार द्वारका प्रसाद कंवर 3 दिसंबर 2018 की सुबह करीब 5 बजे चार पहिया वाहन से कोरबा जा रहे थे और उसी दौरान हादसा हो गया.
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