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प्रेग्नेंसी में महिलाओं की बॉडी में कई हार्मोनल और फिजिकल बदलाव देखने को मिलते हैं। लेकिन खराब लाइफस्टाइल के चलते प्रेग्नेंसी में कई कॉम्प्लिकेशंस देखने को मिलती है। ऐसी ही एक अस्थायी और फॉल्स प्रेग्नेंसी भी होती है। इसे ही एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के नाम से जाना जाता है। असल में यह प्रेगनेंसी नहीं बल्कि मां के जान के लिए खतरा होता है। इसका इलाज सही समय पर न होने पर मां की जान जा सकती।
जब प्रेग्नेंसी गर्भाशय को छोड़कर कहीं और होती है तो इसे ही एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहा जाता है। ज्यादातर मामले फैलोपियन ट्यूब में होते हैं। इसका साइज काफी छोटा होता है। जब इस जगह पर प्रेग्नेंसी प्लांट होती है, तब फैलोपियन ट्यूब फटने का डर बन जाता है, जिससे मां की जान को खतरा हो सकता है। इसी वजह से एक्टोपिक प्रेग्नेंसी को गर्भपात करना जरूरी होता है। कई बार गर्भपात खुद ही हो जाता है, लेकिन कुछ डॉक्टर की मदद से सुलझाने पड़ते हैं।
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी से ऐसे बचे
1. सही उम्र में प्रेगनेंसी प्लान करें।
2. प्रेगनेंसी से पहले जांच करवाएं और प्री प्रेगनेंसी काउंसलिंग लें।
3. प्रेगनेंसी से पहले और बाद में अच्छी डाइट रखें।
4. धूम्रपान से बचें।
5. बार-बार गर्भपात का सही वजन जानकर इलाज करवाएं।
6. कंसीव करने के बाद डॉक्टर से मिलकर सलाह जरूर लें।
7. गर्भनिरोधक गोलियां न खाएं।
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के लक्षण
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के लक्षण सामान्य प्रेग्नेंसी से मिलते-जुलते दिखाई देते हैं। ऐसे में प्रेग्नेंसी कंफर्म होने को लेकर एक बार अल्ट्रासाउंड करवाना चाहिए। इससे गर्भ की सही जगह का पता चल जाता है।
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