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पुलिस हिरासत में हुई बलवंत की मौत! पोस्टमार्डम रिपोर्ट में शरीर पर 31 चोट के निशान

शिवली कोतवाली क्षेत्र के लालपुर सरैया गांव निवासी बलवंत सिंह को कानपुर देहात की पुलिस ने चाचा चंद्रभान से लूट के शक में उठाया था और पूछताछ के लिए थाने ले गई थी. परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनकी पिटाई की जिससे उसकी मौत हो गई.

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By विपिन यादव | खबरें - 21 December 2022

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में पुलिस हिरासत में हुई व्यापारी बलवंत सिंह की मौत के मामले में पोस्टमार्डम की रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया है कि मृतक बलवंत के सिर से लेकर पैर तक कुल 31 चोट के निशान पाए गए हैं. हालांकि पोस्टमार्डम रिपोर्ट में भी मौत की वजह साफ नहीं आई है. वहीं विसरा को सुरक्षित रख लिया गया है. 

आपको बता दें कि शिवली कोतवाली क्षेत्र के लालपुर सरैया गांव निवासी बलवंत सिंह को कानपुर देहात की पुलिस ने चाचा चंद्रभान से लूट के शक में उठाया था और पूछताछ के लिए थाने ले गई थी. परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनकी पिटाई की जिससे उसकी मौत हो गई. 

 इस मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्य नाथ सरकार ने एसआईटी का भी गठन कर दिया है. इस मामले में 11 आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित भी कर दिया गया है. दूसरी तरफ मृतक के परिजन लगातार सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं.

ये पुलिस कर्मी गिरफ्तार 

गौरतलब है कि पुलिस टीम ने आरोपी पुलिसकर्मियों में से अभी तक एसओजी प्रभारी प्रशांत गौतम, थाना अध्यक्ष राजेश कुमार सिंह व अन्य तीन सिपाहियों, अनूप कुमार, सोनू यादव, और दुर्वेश कुमार को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है. अन्य फरार पुलिसकर्मियों की तलाश लगातार जारी है.

अखिलेश पहुंचे थे बलवंत के घर 

आपको जानकारी के लिए बता दें कि बलवंत की मौत अब सियासी मुद्दा भी बन गई है. 19 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी मृतक व्यापारी के परिजनों से मिलने उनके घर पहुंचे. इस दौरान अखिलेश यादव ने मृतक के परिजनों से मुलाकात करते हुए उन्हें इंसाफ दिलवाने का भरोसा दिलवाया था.

सालभर में हिरासत में हुई 501 मौतें

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि अकेले उत्तर प्रदेश में 2021-22 में हिरासत में कुल 501 मौतें हुईं जबकि इससे पहले यानी 2020-21 में हिरासत में मौत के 451 मामले दर्ज किए गए. यूपी के बाद पश्चिम बंगाल और फिर मध्य प्रदेश का नंबर आता है.

देशभर के आंकडे़ें

वहीं देश भर में 2021-22 में हिरासत में हुई मौतों का आंकड़ा 2544 है. जबकि 2020-21 में यह संख्या 1940 थी, उत्तर प्रदेश में पिछले तीन साल में 1,318 लोगों की पुलिस और न्यायिक हिरासत में मौत हुई है.

क्या कहती है? एनएचआरसी की रिपोर्ट

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानी एनएचआरसी की रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में साल 2021-22 में न्यायिक हिरासत में 2,152 लोगों की मौत हुई है. जबकि 155 लोगों की मौत पुलिस कस्टडी में हुई. यानी, हिरासत में हर रोज 6 लोगों की मौत हो रही है. बता दें कि उत्तर प्रदेश में हिरासत में होने वाली मौतों के कारण राज्य की पुलिस पर लगातार सवाल उठते रहते हैं. जिसके कारण सूबे की योगी सरकार पर भी विपक्षी पार्टी हमलावर बनी रहती है. 


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