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बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन को किसी पहचान की मोहताज नहीं है. 11 अक्टूबर को अपना 80वां जन्मदिन मनाने वाले अमिताभ लंबे समय से हिंदी सिनेमा में सक्रिय हैं और यहां रहते हुए उन्होंने कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया है. अमिताभ एक शानदार अभिनेता होने के साथ-साथ एक पारिवारिक व्यक्ति भी हैं. यह किसी से छिपा नहीं है कि वह अपने परिवार से बिना शर्त प्यार करता है और अपने माता-पिता को याद करके आज भी उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं.
फिल्म 'आरक्षण' की शूटिंग
अमिताभ को अक्सर अपने पिता हरिवंश राय बच्चन और मां तेजी बच्चन को याद करते देखा जाता है. उन्हें कई मौकों पर अपने पिता को याद करते हुए उनकी प्रसिद्ध कविता 'मधुशाला' की पंक्तियाँ गाते हुए देखा गया है. लेकिन क्या आप जानते हैं हरिवंश राय बच्चन ने क्यों लिखी 'मधुशाला' हिन्दी साहित्य या शायरी पसंद करने वाले लोगों ने 'मधुशाला' जरूर पढ़ी या सुनी होगी. हरिवंश राय बच्चन ने यह कविता वर्ष 1933 में लिखी थी, जो आज तक पसंद की जाती है. साल 2011 में अमिताभ भोपाल में फिल्म 'आरक्षण' की शूटिंग कर रहे थे. फिर वहां उन्होंने एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया. यहां अमिताभ बच्चन ने अपने पिता को याद किया और उनकी 'मधुशाला' में चले गए.
शराब नहीं पीते तो शराब पर कैसे लिखते
साथ ही उन्होंने बताया कि बाबूजी शराब नहीं पीते थे, कई लोग सोचते थे कि अगर शराब नहीं पीते तो शराब पर कैसे लिखते? लोग सोचते थे कि यह लेखक दिन-रात नशे में है. आगे एक्टर ने कहा था कि एक बार बाबूजी ने कहा था कि मैं ड्रग्स लेने से मना नहीं करूंगा. जीवन अपने आप में एक लत है. शायरी भी नशा है तो और भी बहुत नशा है. अपने चाहने वालों के भ्रम को दूर करने के लिए मैंने एक बार रुबाई लिखी थी.
हालांकि, पिता के इस जवाब के बाद भी लोग उनसे पूछते थे कि जब वह शराब नहीं पीते हैं तो उन्हें प्रेरणा कैसे मिलती है? फिर उन्होंने कहा कि एक बार मेरे मन में विचार आया कि मैं कायस्थ कुल में पैदा हुआ हूं, जो केवल पीने के लिए प्रसिद्ध है, तो यह सब मुझमें जन्म से ही होगा.
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