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'म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के' डायलॉग भले ही दंगल फिल्म का है लेकिन असल जिंदगी में ये बखूबी आजकल फिट बैठ रहा है। क्योंकि आज की लड़कियों के हाथ सिर्फ रोटी बनाकर खिलाने तक ही नहीं बल्कि प्लेन उड़ाने तक का काम कर सकते हैं। इसका सबसे अच्छा और शानदार उदाहरण हाल ही में हम सभी को देखने को मिला है। यहां हम बात कर रहे हैं उन वीर महिलाओं की जोकि एयर इंडिया की फ्लाइट सैन फ्रांसिस्को से लेकर बेंगलुरु पहुंची तो उन्होंने सफलता का एक नया अध्याय और भारत के नाम जोड़ दिया।
दरअसल एयर इंडिया की 4 महिला पायलटों की एक टीम ने दुनिया के सबसे लंबे हवाई मार्ग यानी नॉर्थ पोल पर उड़ान भरकर सभी को हैरान कर दिया है। इस दौरान उन्होंने करीब 16 हजार किलोमीटर की दूरी तय की है। सबसे ज्यादा गर्व करने वाली बात ये है कि इस विमान को पूरी तरह से महिलाएं चलाने का काम कर रही थी, जिनमें कैप्टन जोया अग्रवाल, कैप्टन शिवानी, कैप्टन आकांक्षा और कैप्टन पापागरी तनमई शामिल थीं। वहीं, इस विमान को लीड करने का कैप्टन जोया अपनी समझदारी के साथ कर रही थी। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि बेंगलुरु एयरपोर्ट पर लैडिंग के बाद कैप्टन जोया अग्रवाल ने इस बात की जानकार दी है कि इस मार्ग ने 10 टन ईधन को बचाया है। ऐसी जानकारी सामने आई है कि एयर इंडिया के पायलट पहले भी ध्रवीय मार्ग पर उड़ान भर चुके हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ जब किसी महिला पायटल की टीम ने नॉर्थ पॉल पर उड़ान भरी है।
भारत की पहली महिला पायलट
यहां तो हमने आपको ये बताया कि आज की नारियों ने किसी तरह से आसमान में इतिहास रचने का काम किया। लेकिन क्या आपको पता है कि हमारे देश की पहली महिला पायलट कौन थी? जिन्होंने 21 साल की उम्र में साड़ी पहनकर विमान को उड़ाया था। यहां हम बात कर रहे हैं भारत की पहली महिला पायलट सरला ठकराल की। जिस वक्त उन्होंने विमान उड़ाया वो चार साल की बच्ची की मां भी थी। 1936 मं उन्होंने लाहौर हवाई अड्डे पर दो सीटों वाले जिप्सी मॉथ विमान को चलाया। उन्होंने ये कारनामा तब किया जब भारत में अग्रेंजों का राज था। उनका जन्म 15 मार्च को दिल्ली में हुआ था। सरला ने अपने विमान चलाने की ट्रेनिंग दिल्ली में 1929 में फ्लाइंग क्लब से ली थी।
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