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भारत और चीन में चल रहे समझौतों और प्रोटोकॉल के मुताबिक पूर्वी लद्दाख के मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने और बातचीत को बनाए रखने पर अपनी सहमति जताई है. भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाले बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया की दिशा में आगे बढ़ने के उद्देश्य से बीते 31 जुलाई को हुई. 12वें दौर की सैन्य वार्ता के दो दिन बाद सोमवार को यह संयुक्त बयान जारी किया है. दोनों ही देश अंत में इस बात के लिए भी राज़ी हुए कि वे पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रभावी प्रयास जारी रखेंगे और शांति बनाए रखेंगे.
आपको बता दें बैठक के दौरान दोनों देश सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में LAC के साथ गतिरोध वाले स्थानों से सेना की वापसी से संबंधित शेष क्षेत्रों के सोल्युशन पर दोनों देशों ने खुलकर बात रखी और एक-दूसरे से आईडिया शेयर किया. दोनों देशों ने 12वें दौर की बैठक को रचनात्मक बताया और बोले कि इससे आपसी समझ को और बढ़ाने में मदद मिली है. वहीं बैठक का यह दौर 14 जुलाई को दुशांबे में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक और 25 जून को आयोजित भारत-चीन सीमा मामलों (डब्लूएमसीसी) पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र की 22वीं बैठक के बाद आयोजित किया गया था.
12वें दौर की वार्ता करीब 9 घंटे तक चली
कोर कमांडर स्तर की वार्ता का 12वां दौर सुबह 10.30 बजे शुरू हुआ और शनिवार शाम 7.30 बजे पूर्वी लद्दाख में चीनी सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मोल्डो सीमा बिंदु पर समाप्त हुआ. करीब 9 घंटे तक चली इस बैठक का मकसद क्षेत्र में 14 महीने से अधिक समय से चल रहे गतिरोध को खत्म करना था. बैठक के दौरान भारत ने हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग में सैनिकों की वापसी पर जोर दिया. इससे पहले 11वें दौर की सैन्य वार्ता 9 अप्रैल को एलएसी के भारतीय हिस्से में चुशुल सीमा बिंदु पर हुई थी और यह बातचीत करीब 13 घंटे तक चली थी.
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